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हमारी प्रजातंत्रता को देखें

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भारत ही एक ऐसा प्रजातंत्र देश है विश्व में, जिसे 9 वोट मिलने पर भी प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया,जिसे 1 ही वोट मिला वह प्रधानमंत्री बनाये गए।

हमारे देशवासी इतना बलिदान देने के बाद भी उन बिगड़े मानसिकता वालों के हाथों खिलौना बनकर रह गया, जिसका नतीजा आज हम भुगत रहे हैं। नेताजी सुभाषचंद्र बोस को लोगों के समर्थन मिलने पर भी उनसे त्याग पत्र लेना कौन सा मानव अधिकार में आता है? हमारे देश के बैरिस्टर के द्वारा यह काम हुवा, क्या हम इसे प्रजातंत्र कहें,लोकतंत्र बताएंगे?

मतलब साफ है उन अमानवीय विचारधारा हम पर हावी था जिसका नतीजा यह हुवा की हम भारतवासी उन्हें गँवा बैठे जो कह रहे थे भारतवासी आप हमें खून दो, मैं आप लोगों को आज़ादी दिलाऊंगा।

बात यही तक नहीं रुकी जिन सरदार पटेल को लोगों का समर्थन प्राप्त हुवा उन्हें प्रधानमंत्री ना बनाकर नेहरू को प्रधान मंत्री बनाना यह कौनसा स्वस्थ दिमाग वालों का काम था, और कैसे मानसिकता वाले लोग हम पर हावी थे आज तक उसपर विचार करने को भारतवासी तैयार नहीं किस लिए ?

आगे की बात है की मेरा शरीर का टुकड़ा हो सकता है मैं भारत का टुकड़ा होने नहीं दुंगा यह कह कर भी भारत का टुकड़ा करवाया गया 55 करोड़ रुपया भी उन टुकड़े करने वालो को देना यह किस महानता के आधार पर किया गया ?
देश का बटवारा हुवा हिन्दू मुस्लिम के नाम पर इसके बाद भी उन्हें भारत में रोकना आज गले की हड्डी बनी की नहीं यत्र तंत्र विस्फोट आतंकवाद का कारण किस लिए बनें?
महेन्द्रपाल आर्य 27 जनवरी 2017

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