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हमारी मान्यता क्या है

Mahender Pal Arya
30 Sep 16
242
हमारी मान्यता सबसे प्रीति पूर्वक धर्मानुसार यथायोग्य वर्तना चाहिए,भारत ने प्रीती, कपड़ों से मिठाइयों सेऔर धर्म भी बतादिया,यही बचा था जो हुवा | हम महात्मा गाँधी के देश के ज़रूर हैं, किन्तु उनके विचारों से हम लोग सहमत नही | की एक गा्ल में चांटा लगे तो दूसरा गा्ल बढ़ा दो | हम यह जानते हैं कि दूसरा गा्ल में भी लग गया तो तीसरा गा्ल ही नही है किसी के पास |
इसलिए हमारी मान्यता है कि गाल में मारने से पहले ही उसका हाथ पकड़ लो, जिससे कि वह मारने कि हिम्मत ही ना रखे | ऋषि दयानंद जी ने यह कर दिखाया, जब एक राजा ने तलवार ले कर दयानन्द पर लपके | ऋषि दयानंद जी ने राजा के तलवार चलाने से पहले ही राजा के हाथ से दयानंद जी ने तलवार छीन ली, और तलवार को दो टुकड़ा कर दिया |
पाकिस्तान के रक्षामंत्री दो दिन पहले बयान दे रहे थे अल्लाह का फज़ल है | वही रक्षा मंत्री कि कल देखा tv पर कि जुबान हिल नही रही थी | मैंने कल कुरान से ही हवाला दिया था कि अल्लाह जो चाहता है करता है होता है | यही मान्यता इस्लाम वालों कि है, तो यह मार जो पड़ी वह अल्लाह कि मार है | अल्लाह ने कुरान में 40 जगह यही फ़रमाया है | मैं दो चार प्रमाण कुरान से दे ही देता हूँ दुनिया वाले भी इस को देखें |
وَمَا تَشَاءُونَ إِلَّا أَن يَشَاءَ اللَّهُ ۚ إِنَّ اللَّهَ كَانَ عَلِيمًا حَكِيمًا [٧٦:٣٠] और जब तक ख़ुदा को मंज़ूर न हो तुम लोग कुछ भी चाह नहीं सकते बेशक ख़ुदा बड़ा वाक़िफकार दाना है | सूरा 76 इन्सान =30 وَمَا تَشَاءُونَ إِلَّا أَن يَشَاءَ اللَّهُ رَبُّ الْعَالَمِينَ [٨١:٢٩] और तुम तो सारे जहॉन के पालने वाले ख़ुदा के चाहे बग़ैर कुछ भी चाह नहीं सकते إِلَّا مَا شَاءَ اللَّهُ ۚ إِنَّهُ يَعْلَمُ الْجَهْرَ وَمَا يَخْفَىٰ [٨٧:٧] मगर जो ख़ुदा चाहे (मन्सूख़ कर दे) बेशक वह खुली बात को भी जानता है और छुपे हुए को भी |87 =7 مَّا يَفْعَلُ اللَّهُ بِعَذَابِكُمْ إِن شَكَرْتُمْ وَآمَنتُمْ ۚ وَكَانَ اللَّهُ شَاكِرًا عَلِيمًا [٤:١٤٧] अगर तुमने ख़ुदा का शुक्र किया और उसपर ईमान लाए तो ख़ुदा तुम पर अज़ाब करके क्या करेगा बल्कि ख़ुदा तो (ख़ुद शुक्र करने वालों का) क़दरदॉ और वाक़िफ़कार है |सूरा 3 -147 قَالَ إِنَّمَا يَأْتِيكُم بِهِ اللَّهُ إِن شَاءَ وَمَا أَنتُم بِمُعْجِزِينَ [١١:٣٣] नूह ने कहा अगर चाहेगा तो बस ख़ुदा ही तुम पर अज़ाब लाएगा और तुम लोग किसी तरह उसे हरा नहीं सकते और अगर मै चाहूँ तो तुम्हारी (कितनी ही) ख़ैर ख्वाही (भलाई) करुँ | सूरा 11 =हुड =33 يَمْحُو اللَّهُ مَا يَشَاءُ وَيُثْبِتُ ۖ وَعِندَهُ أُمُّ الْكِتَابِ [١٣:٣٩] फिर इसमें से ख़ुदा जिसको चाहता है मिटा देता है और (जिसको चाहता है बाक़ी रखता है और उसके पास असल किताब (लौहे महफूज़) मौजूद है | सूरा =13 =रायद = 39= وَلِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ ۚ يَغْفِرُ لِمَن يَشَاءُ وَيُعَذِّبُ مَن يَشَاءُ ۚ وَاللَّهُ غَفُورٌ رَّحِيمٌ [٣:١٢٩] और जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है सब ख़ुदा ही का है जिसको चाहे बख्शे और जिसको चाहे सज़ा करे और ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबार है | सूरा =३ =इमरान 129 إِنَّ اللَّهَ لَا يَغْفِرُ أَن يُشْرَكَ بِهِ وَيَغْفِرُ مَا دُونَ ذَٰلِكَ لِمَن يَشَاءُ ۚ وَمَن يُشْرِكْ بِاللَّهِ فَقَدِ افْتَرَىٰ إِثْمًا عَظِيمًا [٤:٤٨] और ख़ुदा का हुक्म किया कराया हुआ काम समझो ख़ुदा उस जुर्म को तो अलबत्ता नहीं माफ़ करता कि उसके साथ शिर्क किया जाए हॉ उसके सिवा जो गुनाह हो जिसको चाहे माफ़ कर दे और जिसने (किसी को) ख़ुदा का शरीक बनाया तो उसने बड़े गुनाह का तूफान बॉधा | सूरा =निसा =4 =48 لَّوْ أَرَادَ اللَّهُ أَن يَتَّخِذَ وَلَدًا لَّاصْطَفَىٰ مِمَّا يَخْلُقُ مَا يَشَاءُ ۚ سُبْحَانَهُ ۖ هُوَ اللَّهُ الْوَاحِدُ الْقَهَّارُ [٣٩:٤] अगर खुदा किसी को (अपना) बेटा बनाना चाहता तो अपने मख़लूक़ात में से जिसे चाहता मुन्तखिब कर लेता (मगर) वह तो उससे पाक व पाकीज़ा है वह तो यकता बड़ा ज़बरदस्त अल्लाह है |सूरा39,4