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हमारे देश में अपुज्यों की पूजा, व , पूजनीय त्रिषकृत ||

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|| हमारे देश में, अपुज्यों की पूजा, व, पूजनीय त्रिषकृत ||
मोदी जी प्रधान मंत्री बने तब केजरीवाल व कई लोग पूछने लगे कितने पढ़ेंलिखे हैं यह सवाल राबड़ी जी व ज्ञानी जेल सिंह, चरणसिंह से कोई नहीं पूछा क्यों ?
 
अगर प्रधानमन्त्री बनने के लिये लिखना पढ़ना जरुरी है -तो मुख्य मन्त्री बनने के लिये लिखना पढ़ना जरूरी क्यों नही ? अथवा MLA +और MP के लिये अपढ़ किस लिये चुना जाता है, अथवा चुना जायेगा ? कारण प्रधानमन्त्री अथवा मुख्यमंत्री बनने के लिये भी चुनाव जीत कर ही आना पड़ेगा ?
 
दूसरी बात यह भी है की जब लालूप्रसाद को जेल जाना पड़ा, तो उसी समय लालू प्रसाद जी ने किसी चुनाव जीतने वाले को मुख्य मन्त्री ना बनाकर फौरन अपनी पत्नी को बिहार का मुख्य मन्त्री बना दिया था | खूबी की बात यह है की किसी ने विरोध नही किया ? मेरे विचार से यह अधिकार चुनाव अयोग को तो होना चाहिए की जिसे मुख्य मन्त्री बनाया जा रहा है वह उस काबिल -या लायक है अथवा नही यहाँ देखा नही जाना चाहिए था ?
सही में हमारा देश की यही कानून है, की कोई भी मुख्य मन्त्री पत्नी को बनादे अथवा बेटा हो या बेटी हो किसी को भी अपना मुख्यमंत्री का पद दे सकता है ? क्या उसमें योग्यता देखने की जरूरत ही नही ? अगर हमारा देश का यही कानून है फिर तो सरासर गलत कानून है जब देश चलाने की जिम्मे दारी जिन पर हो अथवा, प्रान्त चलाने की जिम्मेदारी जिनपर हो क्या उनकी योग्यता होनी चाहिये या नही ? यह देखने का कोई काम ही नही है ? यह कैसा कानून है जभी तो लोग इसे अँधा कानून कहते हैं |
 
दूसरी बात हमने यह भी देखा बिहार के राबड़ी देवी के समय में की IAS और IPS जो सम्पूर्ण जिला और प्रान्त के भी अधिकारी उन अंगूठा टेक मन्त्री के साथ पीछे पीछे भाग रहे हैं | मैं यह नही समझ पाया की उन IAS और IPS से भी मर्यादा उनकी ज्यादा है जिनको अपना नाम लिखना नही आता ? यह क्या और कैसा कानून है, जब कोई सरकारी किसी विभाग में किसी को सरकारी नौकरी में भर्ती लेते है तो उसकी शिक्षनिक योग्यता पुछा जाता है की नही ? अथवा उनकी डीग्री देखी जाती है या नही ?
 
अगर एक अंगूठा टेक MLA और MP= उन IAS और IPS से मर्यादा पूर्ण है ताकतवर है फिर लिखना पढ़ना कौन चाहेगा ? अथवा उन पद की गरीमा क्या होगो जो लोग=DM -SDM – अपने पढ़ने लिखने की योग्यता के वल पर बने, अथवा अपढ़ ही बन गये ? अगर पढ़े लिखे हैं फिर एक अपढ़ मन्त्री या MLA =MP का झोला उठाये यह कौन सी मर्यादा की बात है ?
मैं नही जानता की हमारे देश में पढ़े लिखे लोगों की मान होती है अथवा अनपढ़ों को सम्मान देते हैं लोग ?
 
अगर पढ़े लिखे लोगों को ही सम्मानित करते होते फिर हमारे यह IAS =और IPS इन मुर्ख अंगूठा टेक मन्त्री अथवा MLA और MP के झोला उठाये फिरते ? यह तो सरासर शिक्षा का अपमान है | जिस शिक्षा को स्वरस्वाती कहा गया ज्ञान का भंडार कहा गया उसके सिखने वाले को ज्ञानवाण कह कर पुकारा दुनियाने, तो फिर उसका अपमान किसलिए ? किसके पास है जवाब जरा हमें भी सुनाएँ |
 
हमारे शास्त्रकारों ने यही कहा >
अपूज्ययत्रे पूज्यन्ते, पुज्यनाम च अवमानना | त्रिनी तत्रे वर्धन्ते दुर्भिक्षम मरणं भयं ||
अर्थात= जिस देश में अपुज्यों की पूजा होती है, और पूज्यों का अपमान उसी देश में अकाल मृत्यू और भय तीनों लगा रहता है |
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक प्रवक्ता =दिल्ली =13/11/16=

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