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हम धर्मांतरण ना करते हैं, और ना कराते हैं , उन्हें उनके अपनों में मिलते हैं

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सुबह एक खुश खबरी आप सभी मित्र मण्डली को देता हूँ, आप सभी देख और सुनरहे हैं हर TV चेनल से ले कर प्रायः अखबारों में इस समय धर्मान्तरण पर चर्चा हो रही है | मै आज से 3 दिन पहले यह लिखा था की हम धर्मान्तरण ना करते हैं, और ना करवाते हैं | हम उनलोगों को यह अहसास कराते हैं, की आपका जन्म कहाँ हुवा था ? क्या धरती पर कोई मुसलमान बनकर आया ? या उन्हें मुसलमान बनाया गया ? जब मुसलमान, ईसाई यह सब दुनिया में आने के बाद बनाये गये हैं, तो क्या बनकर आये थे किस परिवार में आये थे ? आप जिस परिवार में आये थे आप उसी परिवार में लौट चलें |
उसी परिवार में अगर हम लौट जाते हैं तो इसमें किस को क्या अपत्ति है ?
इसी श्रृखला को मै आज 30 वर्षों से अंजाम दे रहा हूँ =और कल 29 =12= 014 को कटरा इलाहबाद का रहने वाला -श्री कलीम खान को मैं बताने में या समझाने में सफल रहा | मेरे साथ और भी संगठन के कार्यकर्ता मौजूद थे | जिन कलीम खान साहब ने यह स्वीकारा हैं की हमें इसी दुनिया में आने के बाद ही मुसलमान बनाया गया | और धरती पर जितने भी मुसलमान हैं उन्हें भी धरती पर आने के बाद ही मुसलमान बनाया गया है | मै आप का या आप लोगों का धन्यवादी हूँ की आप लोगों ने हमे यह एहसास कराया, और हमें अपने पूर्वजों के परिवार में मिला दिया | इस प्रकार उन्हों ने स्वेच्छा से सत्य को स्वीकारा है, और अपने पूर्वजों के स्त्यसनातन वैदिकधर्मी बन गये हैं | अन्य सभी समझदारों से मानव कहलाने वालों से मेरी प्रार्थना है की वह भी इसी सत्यको समझें और अपने पूर्वजों में शामिल हो जाएँ | कारण मानव मात्र का धर्म एक ही है धर्म,अलग होना संभव नही हर मानव अपनी माँ को माँ ही कहता है, और पिता को पिता ही कहते हैं | सूरज,चाँद ,पानी ,आकाश , धरती को सभी मानव मात्र के लिए हैं अतः मानव मात्र का धर्म भी एक ही है | उसे मानव धर्म कहते हैं हमें और आप को उसे जानना और पहचानना है उसे अपना कर हम औरों को भी सत्य बता सकते हैं | यह है महेन्द्रपाल आर्य का काम, जिसे मै अंजाम दे रहा हूँ सत्य का धारण -और असत्य का वर्जन ही मानवता है | तो आयें हम सत्य को धारण करें और असत्य को त्याग दें, तो मानवता की रक्षा होगी |

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