Vaidik Gyan...
Total:$776.99
Checkout

हम भारत के लोग इस पर विचार क्यों नही करते ?

Share post:

इस देश का नाम आर्यवर्त था है, और रहेगा, जिसका प्रमाण हमारे ऋषि और मुनियों ने अनेक बार अनेक प्रकार से दिया है | ऋषि दयानन्द जी ने भी अपने सत्यार्थप्रकाश के आठवां समुल्लास में मनु का हवाला दिया है जैसा= मनु =२-२२-तु० _२२ -१७ =उत्तर में हिमालय, दक्षिण में विन्धियाचल,पूर्व और पश्चिम में स्मुद्र, तथा सरस्वती पश्चिम में अटक, नदी जो उत्तर के पहाड़ों से निकल के दक्षिण के समुद्र की खाड़ी में मिला है | और जो नेपाल के पूर्व भाग पहाड़ से निकल बंगाल के, आसाम के पूर्व और ब्रह्मा के पश्चिम,ओर हो कर दक्षिण के समुद्र में मिली है जिसको ब्रह्मपुत्र कहते हैं | हिमालय की मध्य रेखा से दक्षिण और पहाड़ों के भीतर और रामेश्वर पर्यन्त विन्ध्याचल के भीतर जितने देश हैं उन सब को आर्यवर्त कहते हैं | यह देश देव निर्मित आर्यावर्त इसलिये कहाता है कि देव नाम विद्वानों ने बसाया और आर्यजनों के निवास करने से यह देश आर्यवर्त कहलाया है | आर्य नाम धार्मिक, विद्वान, आप्त पुरषों का है, और इनके विपरीत जनों का नाम दस्यु, अर्थात डाकू, दुष्ट, अधार्मिक, और अविद्वान है | अब यहाँ आर्य और अनार्य का परिचय मिल गया देश का नाम भी पता चलगया |

दूसरी बात यह भी है प्रमाण तो यहाँ ऋषि ने अनेक दिए हैं, पर कुछ मोटी मोटी बातों पर हम विचार करेंगे तो स्वतः यहबात सामने आना सम्भव भी है जैसा, सृष्टि के प्रथम से ही मानव जीवन में संस्कार 16 बताया गया है वैदिकज्ञान के आधार पर | वह संस्कार जब हम करते कराते हैं, तो उस संस्कार का संकल्प होता है, और वह संस्कार के नाम अलग,अलग, ही हैं, तो जब कोई संस्कार हम करेंगे तो हमें संकल्प में हमारा दिन की गिनती | मास कि गिनती.नक्षत्र की गिनती, नक्षत्र के देवता व समय का बताना, अपना नामअपने गोत्र का नाम का उच्चारण | और यह कार्यक्रम हम किस स्थान किस घर में किस मुहल्ले में किस प्रान्त में, किस देश में कर रहे हैं उन सब का उल्लेख करना पड़ता है, तो इसदेश के नाम में आर्यावर्त देशान्तरगते, यह कहना पड़ता है | अब विचारणीय बात यह है की यह संस्कार हमारा कब से चल रहा है ? जवाब मिला सृष्टि के प्रथम से, फिर यह्देश आर्योंका नही है कहना, अथवा आर्य लोग विदेश से आये यह कहना क्यों और किस लिए संभव होगा भला ?

अब आइये मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी के काल में, तो अभी कई वर्षपहले श्री रामानन्द सागर जी ने रामायण के नाम से एक सिरियल शुरू किया था और उसे उन्हों ने बनाने के लिए अनेक ग्रन्थोंका सहारा लिया,और जहाँ तक मैं जानपाया की 108 रामायण जो विभिन्न विद्वानों ने लिखा है उन से चुनिन्दा बातों को  लेकर वह सीरियल बनाई गई थी | जिसमें भी यही शब्द बार, बार ही दोहराया गया है आर्यपुत्र श्रीराम जी के लिए कहा गया, प्रश्न यह है की इसमें दो बातों को हम प्रमाण के लिए ले सकते हैं | एक तो यह की मर्यादा राम जन्म लेते हैं अपने माता, पिता के घर में | और जन्म लेने वाला कभी भी परमात्मा नही हो सकता, कारण परमात्मा अजन्मा है | दूसरी बात यह की,राम को आर्यपुत्र कहा गया, फिर प्रश्न आया आर्य पुत्र कौन है ? जवाब में हमारे ऋषियों ना बताया, आर्यनाम ईश्वर पुत्र: =आर्य ईश्वर के पुत्र हैं | देखें यहाँ भी आर्य समाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द का धरती पर आगमन ही नही हुवा था | अब यहाँ श्रीराम को आर्यपुत्र किसने लिखा, किसने कहा, किसने बोला ? इतना प्रमाण हमारे सामने रहने के बाद भी अगर कोई कहे हम आर्य नही है हिन्दू हैं, अथवा गर्वसे कहो हम हिन्दू है |यह बात अपने आपमें झूठी हो गई, सवाल आता है, की अगर रामानन्द सागर जी ने अपनी सिरियल में श्रीराम को आर्यपुत्र कहा क्या वह आर्य समाजी हैं, अथवा किसी आर्यसमाजी के कहने पर उनहोंने यह आर्य पुत्र कहा राम को ? फिर हम आर्य नही हैं यह कहना गर्वसे कहो हम हिन्दू है यह कहना अपने आपमें झूठ प्रमाणित हो रहा है | साथ ही साथ यह भी प्रमाण मिलगया की श्रीराम ईश्वर या परमात्मा नही थे,कारण अगर ईश्वर होते जन्म लेना नही पड़ता, और ईश्वरपुत्र आर्य भी नही कहलाते ? जब राम ईश्वर पुत्र हैं {आर्य} हैं फिर उन्हें ईश्वर कहना, मानना, बतलाना कौनसा अकलमन्दका काम है ?

जवाब इनके पास नही हैं और यह जवाब देने के काबिल भी नही है, दूसरी बात रामायण सिरियल के बाद भी एक सिरियल और सामने आया महाभारत का | जिसमें गान्धारी भी आर्यपुत्र कहते दिखाया गया वह किसलिए ? क्या यह सिरियल बनाने वाले कोई आर्यसमाजी हैं, अथवा अर्यासमाजीयों ने अपने पैसों से यह सभी सिरियल बनवाये हैं ? यह देख कर भी सत्य को स्वीकारना नही चाहते, कारण इनमें इनकी अपनी कमी है जिसे यह लोग आज तक स्वीकारना नही चाहते,क्या है वह गलती तो देखें |

इतिहास हमारा शाक्षी है इसी अर्यावर्त में मुगलों का आगमन हुवा पृथ्वीराज को  16 बार हराया, और छोड़ दिया यह सही था या गलत ? गिनते जाना, उस हारने वाले मुसलमान ने हिम्मत नही हारी, और 17 बारी में उसने शिवमन्दिर के पुजारी को पटाया, पुजारी को अपने साथ मिलाकर उसने चढ़ाई करदी, और इस आर्यवर्त पर अपना वर्चस्व कायम किया, यह गलती किसकी थी आर्य लोगों ? इसी आर्यवर्त की एक राजपूताना महिला को अकबर बादशाह ने शादी की योदावाई से | योदावाई अपनी बुद्धिमानी का परिचय देते हुए वैदिकज्ञान को अकबर के सामने रखी, और तर्क से अकबर के सामने इस्लाम पर कुछ सवाल खड़ा करदिया जिससे अकबर की बोलती बन्द | निरुत्तर हो कर अकबर ने अपने सबसे ज्यादा अकल्मन्द कहलाने वाले मन्त्री बीरबल को बुलाया, और उन्ही सवालोंका जवाब तलाशने को कहा जो योदावाई की थी, वीरबल ने उसकाल के जितने बड़ेबड़े, मुफ़्ती,उलामा, इस्लामिक शिक्षाविद कहलाने वाले थे सब को दरबार में बुलाया | और उनलोगों के बीच सवाल रखे, वह लोग भी जिसका उत्तर देनेमें अक्षम,व निरुत्तर रहे,सब आलिमों के चलेजाने के बाद अकबर ने वीरबल को अपने पास बुलाकर कहा,तुम अपने दीन में मुझे मिलालो, वीरबल ने तीन दिन की छुट्टी मांगी | बादशाह ने स्वीकार किया ठीक है आप जाव छुट्टी में,उसके बाद जब आया दरबार के सामने एक गधा को लेकर आया और उसी दरबार के सामने उस गधे को साबुन रगड़ कर नहलाने लगा | इस दृष्य को देख बादशाह ने पूछा वीरबल यह क्याकर रहे हो ? वीरबल का जवाब था इसको घोंडा बना रहा हूँ, अकबर ने पूछा क्या यह गधे का घोंडा बनना सम्भव है ? वीरबल ने जवाब दिया जहाँपना, गधा घोंडा नही बनसकता तो आप मुसलमान से आर्य या हिन्दू कैसे बन सकते हैं ? जब अकबर ने इस्लाम से हट  कर दीने इलाही नाम की एक अलग संस्था बनाया था,जो इस्लामसे बहुत जगह मतभेद रखते थे यह है इतिहास |

आर्य लोगों याद रखना अगर उसी दिन अकबर बादशाह को अपनों में मिला लियाजाता, तो यह पाकिस्तान का जन्म नही होता, और ना यह पाकिस्तानी आतंकवादी जन्मलेते | जो बार बार भारत में धटनाओं का अन्जाम दे रहा है धमकियां दे रहा है, सारा प्रमाण देनेपर भी जो मानने को तैयार नही, यह सब किस लिए, किनके गलती के कारण हो रहा है, इसके लिये दोषी कौन है ?

यह तो रही पाकिस्तान की बातें,और आपके इसी आर्यावर्त में क्या हो रहा है, जब यह आक्रान्ताओं ने इस देश पर अपना वर्चसस्व कायम किया, राममन्दिर टूटकर बाबरी मस्जिद बनी, विश्नाथ मन्दिर टूटकर ज्ञान वापी मस्जिद बनी | श्रीकृष्ण जन्मस्थान के आधे में मस्जिद बनादिया, पण्डित कालीचरण, कला पहाड़ बनकर पंडितों का कत्लेआम किया जो लड़की हिन्दू बन, कालीचरण से शादी करना चाहती थी पंडितों के मना करने पर जब शादी  नही कर सकते यह सुनकर कालीचरण काला पहाड़ मुसलमान बनने को मजबूर हुवा था | जिस हिन्दूओं के अदुरदर्शिता के कारण आज भारत में मुसलमानों का बोलबाला हुवा, जो योग इसी आर्यवर्त के ऋषिमुनियों के हैं, आज इस्लाम वालों के द्वारा विरोध हो रहा है यह किसकी गलती है ? मात्र इतना ही नही आज इसी आर्यवर्तीय स्कुल में सरस्वती वन्दना हम करें अथवा नही, इसपर भी आज आपलोगों को मुसलमानों का ही विरोध झेलना पड़ रहा है, वह किस लिए ? आज भारतीय लोकसभा,राज्यसभा,विधानसभा में भी बन्देमातरम् का विरोध उन्ही मुसलमानों से ही आप झेल रहे हैं, वह किसलिए? मुसलमानों के हाथ के कठपुतली आप को किस लिये बनना पड़ा, यह कौन बतायेगा ? दिल्ली के लाल किले में आतंकवादी, सांसदों में गोलिओं का बौछार, जिस गाड़ी से आये, वह भारत की थी, जिस वर्दी में थे वह भी भारत की, जो- आई कार्ड दिखाए वह भी भारत की थी, या नही ?

मुसलमानों के लिए यह देश दारुल हार्व { युद्धक्षेत्र }रणभूमि उनके लिये यह काफिरों का देश हैं जितना चाहो जैसा चाहो इनसे उसूल करो | इन्हें खूब डराव धमकाव, इन्हें भयभीत करो तुम बीस मुसलमान सौ काफिरों पर भारी पड़ोगे | यह शिक्षा कुरान की है सूरा अनफल =65 को देखें, जिसपर हर मुसलमान अमल कर रहा है | जहाँ कहेंगे आप वहीं देख सकते हैं, ओवैसी ब्रादर को देखें सरकार से कह रहा है पुलिस को 15 मिनट के लिए हटा दो फिर देखो हम इस्लामवालों का खेल आप लोगों के गलती का ही यह नतीजा है, जो दुनिया के लोग देख और सुंन रहे हैं | इसलामवालों की मान्यता है कुरानके मुताविक अपनी जिन्दगी जीना जो हुक्म अल्लाह ने दिया है, गैर मुस्लिमों से दोस्ती ना रखो, अगर तुमने मुसलमानों को छोड़ गैर मुस्लिमों से दोस्ती रखी तो मै अल्लाह तुम मुसलमानों से दोस्ती नही रखूँगा | देखें सूरा इमरान =28+ सूरा निसा =144=और भी कई जगह पर है जिस पर यह इस्लाम वाले अमल कर रहे हैं | कि इस दारुल हर्व को दारुल इस्लाम में परिवर्तित करना चाहते हैं, आये दिन हिन्दुओं के लड़कियों को अपने प्रेमजाल में फंसाकर हिन्दू लड़कियों से ही इस्लामी सन्तान बनाने में वह अग्रणी हैं यह किन लोगों की गलती है ? अभी तो दिल्ली जामा मस्जिद के इमाम के बेटे ने किसी हिन्दू लड़की से शादी किया यह तो अभी की बात है, उन्हें इस देश को दारुल इस्लाम बनाने का अव सर कौन दिला रहा है ? BJP के अनेकों मुसलिम नेता है जिनके घर हन्दू लड़की के कोख में मुस्लिमों के बच्चे पल रहे हैं क्या यह देश दारुल इस्लाम बनने में देर लगेंगे ? कौन लोग हैं जो इस काम को उन्हें करने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं विचार तो करें | इसिबात की चेतावनी ऋषि दयानन्द ने दी थी और अपनी कालजयी ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश को लिखकर हिन्दुओं को बचाने का काम किया है पर हिन्दू दयानन्द को ही दुश्मन मान बैठे,जो आज तक आरएसएस वालों का जो मोटो है जिसमें कई महापुरुषों के चित्र लगे हैं, उन चित्रों में ऋषि दयानंद का चित्र नहीं है | यह अरविन्द घोष को ऋषि अरविन्द कह रहे हैं किन्तु दयानंद को नहीं | अब वही अरविन्द दयानन्द के लिए लिख रहे हैं, भारत में जितने भी महा पुरुष हुए, सब को मैं पहाड़ों कि चोंटी मानता, और इसमें सबसे ऊँची चोटी मैं दयानन्द को मानता हूँ |परमात्मा इन्हें अक्ल दें जो सोचनेवाले बनें |

Top