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हर एक बात को सच कहने पर वह सच नहीं हो जाता |
![Mahender Pal Arya](http://vaidikgyan.in/wp-content/themes/v-gyan/theme/img/others/qalam.png)
Mahender Pal Arya
18 Sep 20
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हर एक बात को सच कहने पर वह सच नहीं हो जाता ?
सच धरती पर एक ही है और उसे एक ही रहना है जैसा परमात्मा एक ही है वह कभी दो नहीं हो सकता ठीक इसी प्रकार सच भी कभी दो नहीं हो सकता, उसी सचकी पड़ताल करने वाले का नाम मानव होता है | और हम मानव होने हेतु इसकी पड़ताल हमें करना चाहिए |
सच का सामना लिखने वाली जीनत नाम की एक लड़की = उसका ज़वाब |
Mahender Pal Arya सच क्या है इस को जाने बिना ही सब को सच कहना या मानना मुर्खता ही नहीं यह मानवता विरोधी है |
यह लड़की जीनत ने लिखी है उसमे सच कहाँ तक है, मानव होने हेतु हमे सोचना पड़ेगा की क्या यही सच है ?
ऊपर लिखा गया की जंगे उहुद में { ह्जरत, मु स०} का दांत टुटा तो उन्हों ने हलवा खाई थी, तो मुसलमानों का हलवा खाना सुन्नत है |
पर भाईयों -सुन्नत उसे कहते हैं , हज़रत मोहम्मद {स} ने जो किया उसे करना ही इस्लाम में सुन्नत कहा गया |
तो मात्र हलवा खाना ही तो सुन्नत नहीं है | जंग { गैर मुस्लिमों से लड़ना } भी तो सुन्नत है ? अब यह मैंने नहीं कहा इस लड़की ने खुद लिखी है जंगे उहुद -उहुद एक जगह का नाम है उसी जगह पर मुहम्मद {स} ने गैर मुस्लिमों से लड़ते लड़ते उनकी दांत टूटी थी |
मानव समाज को यह सोचना है की पैगम्बरे इस्लाम की जीवनी क्या थी ? और इसलाम को उन्होंने फैलाया कैसा था ? लड़कर जिस लड़ाई में उनके विरोधियों ने मार कर दांत तोड़ दिया ?
मानव कहलाने वाले जरा यह सोचे की जो इस्लाम के प्रतिनिधि हैं उनका जीवन कितना शान्ति प्रिय रहा होगा ? इसी लड़ाई को लोग इसलाम का विस्तार कहते हैं, और इसी का नाम शान्ति बताया जा रहा है ?
लडाई करने का नाम अगर शान्ति है ,तो इस्लाम वालों से पूछा जाय की अशान्ति किसको कहते हैं ?
दूसरी बात है की इसलाम व्यक्ति पूजा का नाम हैं -मुहम्मद {स} ने हलवा खाया -उसको खाना सुन्नत है | तो जिस काम को करने गये जिस कारण हलवा खाना पड़ा -उस जिहाद को छोड़ना सुन्नत को छोड़ना होगा | यही कारण है की इसलाम वालों से सुन्नत न छुटने पाए तो सम्पूर्ण दुनिया मे वही सुन्नत का पालन इसलाम के मानने वाले कर रहे हैं |
अब सेकुलर वादी –अग्निवेश अब तो कहते कहते मर गया – लालूप्रसाद -मुलायम सिंह -मायावती –जितने भी क्म्युनिष्ट वादी है –इनको अब भी पता नहीं है की जिहाद किसको कहा जाता ?
जीनत ने लिखी हैं जंगे उहुद = क्या है भाई जंग-का अर्थ -यह लोग जंग का अर्थ प्रसाद वितरण करना बतायेंगे क्या ? इन्हें लोग पढ़े लिखे कहते हैं -इन लोगों से अकलमन्द तो वह लोग हैं जो सड़क में कागज चुनते हैं ? कारण वह अकल से कागज चुनते है कौनसा कागज लेना है और कौनसा नही लेना ?
रही बात जीनत की तो मै कहना चाहूँगा की आप लोगों ने हुजुर की हर चीज को पाक और मुबारक माना है | जैसा यह दांत मुबारक -मुए {बाल} ए मुबारक -उनकी -टट्टी- पेशाब -सब मुबारक है उन्हों ने जो किया वह करना सुन्नत है | दाढ़ी रखना भी सुन्नत है, मिस्वाक दंतवंन करना भी सुन्नत है | शायद कमरे के अन्दर पिशाब कर के किसी बर्तन में रखना भी सुन्नत ही होगा ?
तो उनहोंने शादी 11 -की थीं -2 कनीज भी रखे थे यह न करना क्या यह सुन्नत के खिलाफ नहीं ? तो अल्लाह ने इन सुन्नत से मुसलमानों को रोका किस लिए ? अल्लाह ने कहा चार से जयादा शादी नहीं |
क्या एक सुन्नत से मुस्लमान वंचित नहीं हो रहे ? यह जो सुन्नत अल्लाह ने मुसलमानों से, छुडवा दिया यह दोष किसपर लगेगा अल्लाह पर या उसके बन्दों पर ?
और अगर यह सुन्नत को पालन करने से मुसलमानों को अल्लाह ने ही रोका तो अल्लाह पर दोष लगा | जिस अल्लाह पर दोष लगे तो पढ़े लिखे लोग ही बताएं कि अल्लाह को प्राणी मात्र का पालन पोषण करने वाला कैसे मान सकते हैं भला ?
दूसरी बात यह होगी आप एक महिला हैं आप ही भली प्रकार इस बात को समझ सकती हैं अगर समझ दारी हो तो = अगर वह समझदारी इस्लाम के पास गिरवी न रखी हों तो |
बात क्या है, हज़रत आयेशा {र}17 वर्ष की उमर में विधवा हो गईं, अल्लाह ने,उम्मुल मोमेनीन बनवा दिया,की यह सभी मुसलमानों की माँ हैं |
अब आप बताना की 17 साल में जो लड़की विधवा हो और उनकी शादी किसी से नहीं हो सकती यह उन नारी के प्रति आदर है अथवा निरादर ? उनके जीवन के लिए क्या अल्लाह ने नहीं सोचा की वह कैसे जीवन व्यतीत करेंगी ?
उन 17 वर्ष वाली विधवा का जीवन जीने को अल्लाह ने भी नहीं सोचा यह अल्लाह का क्या न्याय है ? कौनसा न्याय है ? आप ही अपने दिल में हाथ रखकर बताना जरा ?
आप लोगों ने सत्य को जाना है या, माना है ? फिर यह नाटक किसलिए सचका सामना ? अरे सच का सामना इसलाम न कभी किया है और न कर सकता है ? इस लिए सच क्या है, सच कहते किसे हैं पहले जाने, फिर उसके बाद लोगों को बताएं = वरना मानव समाज को दिक भ्रमित करना छोड़ें | मेरे नजदीक अगर कुछ दिन पढ़ने का वक्त निकाल सकती हैं तो मै आप को बता सकता हूँ सच क्या है ? महेन्द्र पाल आर्य =18 /9 /20