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हिन्दू मुस्लिम एकता पर अल्लाह की सहमती है या नहीं कुरान से देखें |
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Mahender Pal Arya
हिन्दू मुस्लिम एकता पर अल्लाह की सहमती है अथवा नहीं ?
यह मैंने लिखा था पिछले 30 अगस्त 2015 को, मेरे होमपेज में किसी ने याद दिलाने के लिए फिर से डाल दिया है |
कल रात TV देख रहा था हमतो पूछेंगे, सुमित अवस्थी जी के साथ, जिसमें प्रसंग था कोई भी दोषी वलात्कार आदि में पकड़े जाएँ उन्हें फांसी देनी चाहिए या नहीं ?
इस पर चर्चा होते होते हिन्दू मुस्लिम की भी बात आई एक शास्त्री जी ने कहा हिन्दू मुस्लिम एक नहीं हो सकते, सुमित अवस्थी जी ने इसका विरोध किया और एक महिला इन्दिरा तिवारी नाम वाली थीं उन्हों ने भी इसका विरोध किया था |
मैं आज 35 वर्षों से यही काम करता आ रहा हूँ और दुनिया वालों से यही कहता आ रहा हूँ की हिन्दू मुस्लिम एकता हो सकता है अथवा नहीं ? इसके लिए हमें महात्मागाँधी से, लालू, मुलायम,सलमान खुर्शीद, गुलाम नबी आज़ाद, सोनिया से, प्रणव मुखर्जी से या ममता बनर्जी से अथवा अग्निवेश से पूछने की ज़रूरत नहीं है |
और ना हमें अहमद बुखारी से, मुफ़्ती मुकर्रम से और ना असद मदनी से, और ना तो दारुल उलूम देवबन्द के किसी मुफ़्ती से, और ना ही लखनऊ की नदवातुल उलेमाओं के किसी भी मुफ़्ती से पूछने की ज़रूरत है, और ना तो किसी व्यक्ति विशेष से इसपर मुहर लगाने की आवश्यकता |
आज भारत में कुरान जो मूल अरबी में लिखी है, जिसका अनुवाद 20 -22 भाषा में उपलब्ध है कोई भी अपनी भाषा में पढना देखना चाहें तो देखा जा सकता है या देख सकते हैं | यहाँ तक की उसी अरबी जुबान को हिन्दी में भी लोगों ने लिखा है | आज कुछ लोग उसे रट कर अपने को कुरान के ज्ञाता प्रमाणित भी कर रहे हैं | जब की उसका एक भी उच्चारण सही नहीं है कारण हिन्दी में उन अरबी का प्रोनाउनसेशन{ उच्चारण } सही नहीं है और ना सही हो सकता है कुछ भी हो |
तो हमें इन हिन्दू मुस्लिम एकता का नारा लगाने वाले गाँधी जी से पहले पूछना पड़ेगा, की आप हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए कुरान का पाठ हिन्दू मन्दिर में बैठ कर किया है | तो गीता का पाठ भी किसी मस्जिद में बैठ कर क्यों नहीं कर पाए ? फिर दूसरी बात यह भी तो होनी चाहिए की हिन्दू ही इस का प्रयास क्यों करे ? किसी मुसलमान ने भी यह प्रयास किया हो तो बताएं ?
चलें इसी बात को हम अल्लाह से ही पूछ लेते हैं, की या अल्लाह दुनिया के लोग मानते है की कुरान आप की कलाम है, आप की दी हुई किताब है | जिसे आपने अपने फ़रिश्ता हजरत जिब्राइल नामी फ़रिश्ते के माध्यम से अपने हबीब पैगम्बर हज़रत मुहम्मद {स} पर भेजा है | जिस कारण दुनिया के लोग इसे कलामुल्लाह {अल्लाह की कही गई } बतलाते हैं | तोअल्लाह मियां आप ही बताएं की हम मुसलमानों को हिन्दुओं से मिलकर रहना चाहिए अथवा नहीं ? तो अल्लाह ने जवाब क्या दिया वह देखें मैं कुरान से ही पेष्ट करके दे रहा हूँ |
لَّا يَتَّخِذِ الْمُؤْمِنُونَ الْكَافِرِينَ أَوْلِيَاءَ مِن دُونِ الْمُؤْمِنِينَ ۖ وَمَن يَفْعَلْ ذَٰلِكَ فَلَيْسَ مِنَ اللَّهِ فِي شَيْءٍ إِلَّا أَن تَتَّقُوا مِنْهُمْ تُقَاةً ۗ وَيُحَذِّرُكُمُ اللَّهُ نَفْسَهُ ۗ وَإِلَى اللَّهِ الْمَصِيرُ [٣:٢٨]
मोमिनीन मोमिनीन को छोड़ के काफ़िरों को अपना सरपरस्त न बनाऐं और जो ऐसा करेगा तो उससे ख़ुदा से कुछ सरोकार नहीं मगर (इस क़िस्म की तदबीरों से) किसी तरह उन (के शर) से बचना चाहो तो (ख़ैर) और ख़ुदा तुमको अपने ही से डराता है और ख़ुदा ही की तरफ़ लौट कर जाना है | इमरान का 28 आयात है | और भी बहुत हैं यहाँ मैं एक प्रमाण दिया हूँ | अब इस प्रमाण को कुरान से पाने के बाद अगर कोई कहे हिन्दू मुस्लिम एकता की बात तो वह भी ज्ञानी वैसा ही होगा जैसा यह राम रहीम गुरमित सिंह है |
यहाँ नासिर कुरैशी नामी एक मियां जी ने लिखा था जिस को यह जवाब दिया गया 30 अगस्त 15 को जो नीचे हैं ध्यान से पढ़ें |
mahender Pal Arya
30 August 2015 •
नासिर कुरैशी तुम फिर आ गये तुम जैसे हठी इसलाम के मानने वालों ने सत्य को कब माना है ? आतंक वाद का जड़ तो इसलाम है उसे स्वीकार न कर के आर्य समाज पर दोष लगा रहे हो ? अफगानिस्तान में आर्य समाज के लोग लड़ रहे हैं क्या मुर्ख ? धरती पर कुरान के रहते आतंक वाद समाप्त हो सकता है क्या ? देखो मैं एक प्रमाण दे रहा हूँ कुरान से =सूरा अनफल= आयत 65 को देखो क्या कहा तुम्हारा अल्लाह ने | { يٰٓاَيُّھَا النَّبِيُّ حَرِّضِ الْمُؤْمِنِيْنَ عَلَي الْقِتَالِ ۭاِنْ يَّكُنْ مِّنْكُمْ عِشْرُوْنَ صٰبِرُوْنَ يَغْلِبُوْا مِائَـتَيْنِ ۚ وَاِنْ يَّكُنْ مِّنْكُمْ مِّائَةٌ يَّغْلِبُوْٓا اَلْفًا مِّنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَفْقَهُوْنَ 65
.ऐ नबी! मोमिनों को जिहाद पर उभारो। यदि तुम्हारे बीस आदमी जमे होंगे, तो वे दो सौ पर प्रभावी होंगे और यदि तुमसे से ऐसे सौ होंगे तो वे इनकार करनेवालों में से एक हज़ार पर प्रभावी होंगे, क्योंकि वे नासमझ लोग है |
देख लो अकल के अंधों अल्लाह ने मुसलमानों को किस प्रकार गैर मुस्लिमों से लड़ने का हुक्म दिया है इस कुरान के रहते धरती पर शान्ति का आना अथवा होना कैसा संभव हो गा ? अपनी गलती दूसरों पर थोंपना चाहते हो ?
कुछ इसलाम जगत के आलिमों ने इसका जवाब मुझे दिया है, जैसा डॉ0 असलम कासमी ने मुझे लिखा की महेन्द्रपाल जी आप ने कुरान का शाने नुजूल को ध्यान में नहीं रखा | कम से कम, आप को यह तो पता होगा ही एक आलिम होने के नाते, की इसका शाने नुजूल क्या है ? यानि यह आयात किस लिए उतारी गई किस बिना पर अल्लाह ने इस आयत को उतारी ? जब काफ़िर लोग मुसलमानों से दिलमें कुछ और जुबान में कुछ रखते रहे मुसलमानों को उनके घर से निकालने में लगे रहे यह सभी आयतें उन्ही समय के हैं |
मैंने डॉ0 असलम कासमी को जवाब दिया, की आज तो कोई काफ़िर मुसलमानों को घर से निकाल नहीं रहे हैं तो आज इन आयातों की क्या ज़रूरत ? दूसरी बात होगी की अल्लाह को यह भी पता नहीं लग पाया की इन आयातों की ज़रूरत आगे रहेगी या नहीं हर हालत में यह निरुत्तर हैं और रहेंगे | यही कारण है की मेरे सामने आने से इसलाम जगत के आलिम कहलाने वाले पीछे हट रहे हैं आगे आना ही नही, जो आया वह मुह्केवल गिरा है सुदर्शन न्यूज़ चेनल में लगा है देखा सकते हैं | यह देख कर अब कोई मुझसे डिबेट करने नहीं चाहते और ना मेरे सामने ही आना चाहते हैं यां फेसबुक में इन्टरनेट तक ही सीमित हो गये आगे आना ही नहीं चाहते मैंने बहुतों को बहुत बार समय दिया है|
कोई मुसलमान हो अथवा ईसाई, और आप लोगों ने यह भी देखा और सुना होगा की ईसाईलोग मुझे फोन पर ही पचास हज़ार अमरीकन डालर देने तक को कहा, राम रहीम जैसे रंगरलियाँ मानाने के लिए भी रितिका मसीही नामी लड़की ने मुझे फोन पर क्या क्या कहीं है सारा आप लोगों तक मैं पहुंचा चूका हूँ | अभी भी देखा गोगा शेर सिंह जाट करके है उसने क्या क्या लिखा है मेरे लिए यहोवा के शरण में आव तुम्हारी गरीबी दूर हिगी यहोवा तुम्हें अपने यहाँ बुला रहे हैं आदि आदि |
महेन्द्रपाल आर्य =30 /8/17