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हो सके पण्डित बनाकर किसी को उपर उठाव, दलित कह कर किसी को निचे क्यों गिराते हो ?

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होसके पण्डित बनाकर ऊपर उठाव, दलित कहकर किसी को नीचे क्यों गिराते हो ?
 
सत्य पर पर्दा डालने वालों की कमी़ नहीं दलित का परि भाषा आजतक सामने नहीं आया नेता चिल्लाते दलित हैं योग ऋषियों के अनुसार ईश से जुड़ने का साधन |
 
धरती पर मानव शूद्र बनकर आया है । अपने कर्मों से आपने को ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य, कहलाता है जिसने प्रयास नहीं किया वह शूद्र का शूद्र रहा। यह सभी नाम जन्मसे नहीं कर्म से होते हैं । हमारे अनेक ऋषि और ऋषिकाएं हुईं जो चमारों में जन्मे,जो चर्म कार थे {चमड़े का काम करने वाले } किसी कुल का नाम चमार न हीं और ना ब्राम्हण क्षत्रिय वैश्य शूद्र किसी कुल का नाम है। यह नाम कर्मों से होते हैं ना की जन्मों से।
 
दलित जाति किंनका है किसे कहा जाता है दलित आज तक किसी भी शिक्षाविदों ने नहीं बताया । जो आदमी योग्यता के वल राष्ट्र के अध्यक्ष बनने की काबलियत रखें उसी को दलित कहना यह कौनसी मर्यादा की बात है ? अगर किसी को लेकर चलना है तो उसे ऊपर उठाव ब्राह्मण बनाकर | दलित कहकर नीचे किस लिए गिरते हो ? यही तो मानवता का हनन है |
 
मुझे लगता है सबकी दिमागी चिकित्सा की ज़रूरत है। यह मानवता को श्रमसार करने वाली बात है सत्य पर पर्दा डालने वाली बात है।
 
ठीक इसी प्रकार योग के साथ भी हो रहा मजाक है। ऋषियों ने बताया योग का अर्थ है जोड़ आत्मा का सर्वांगीन विकास करते हुए इस आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ने का नाम योग है । “योगश्चित्त वृत्ति निरोधः” “तदा द्रष्टुः स्वरूपे अवस्थानम्” “वृत्तयः पञ्चतय्यः क्लिष्टाः अक्लिष्टाः”
 
चित्त के वृत्तियों को रोकने का नाम ही योग हैें, और वृत्तियाँ पांच प्रकार की होती है क्लिष्ट और अक्लिष्ट |
 
यह है कुल मिलाकर योग का मर्म या अर्थ प्रयास | इस योग केे रचियता है ऋषि पतंजली जिन्होंने योग दर्शन दिया हा | उनके जीवन को देखें की यह उछल कूद या उठा बैठी अनुलोम विलोम उनहोंने किया है या नहीं ? अगर किया है तो हमें भी खूब करना चाहिए और अगर नहीं किया तो क्या यह हमारा मनमानी नहीं है जो हम कर रहे दिखा रहे हैं ?
 
एक बात और भी है आज अगर दुनिया के लोग योग कर रहे हैं, भारत के प्रधानमंत्री से लेकर अनेक राज्यपाल और नेता गण योग तो नहीं योगा कर रहे हैं | इन्हें देखें उनके सब शारीर में वस्त्र है अथवा नहीं ? पर इ सब को सिखाने और बताने वाले गुरु नंगे शारीर किस लिए ?
 
जिसका आठ अंग बताया गया उन्हें सबको छोड़ कर सिर्फ हाथ पैर हिलाने को योग बताया जा रहा है | आज तो टीवी में फेस योग दिखाया बताया जा रहा है । सत्य क्या है कहां है दुनिया वालोंको सत्य बताने के बजाय असत्य बताया जा रहा है आखिर यह हो क्या रहा है इन्हें रोकने वाला कोई नहीं । Mp आर्य= वैदिक प्रवक्ता = 21 =6 =17 =

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