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क़ुरबानी हो या फिर वाली धर्म के नाम यह पाखंड है |

Mahender Pal Arya
31 Jul 20
283
क़ुरबानी हो या फिर वली धर्म के नाम पाखंड है ||
पशु काटना अगर धर्म है तो अधर्म किसे कहेंगे ?
प्रायः लोगों को पता है की मानव समाज में ही एक सम्प्रदाय है दुनिया जिन्हें मुसलमान के नाम से पुकारते हैं | यह इस्लाम के मानने वाले भी अपने को धर्म कहते हैं या दुनिया के लोग भी इसे इस्लाम धर्म कहते हैं |
इन की बुनियाद या भिंत पाँच चीजों पर है, जो निम्न प्रकार है नियम
{1} कलमा पढना जुबान से इकरार करना और दिलसे मानना
{2} नमाज पढना जो दिन में पाँच बार अनिवार्य है हर मुसलमान कहलाने वाले बालिग {जवान} औरत, व मर्द के लिए |
[3} रोज़ा रखना जो साल में एक महिने का होता है सूर्योदय से सूर्यास्त तक निज्जला उपवास रहना थूक तक हलक में ना जाने देना |
{4} जकात देना यानि अगर एक सौ 100 रुपया जमा हो तो उसमें से ढाई 2.50 पैसे किसी गरीब मुसलमान या किसी इस्लामी संस्था को दान करना |
{5} है हज करना, इसी हज के महीने में पशु के गले में छूरी चलाना या पशु को काटना इसे ख़ुशी मानाना कहते हैं जिसे ईदुज्जोहा अथवा बकरीद कहते हैं
संभवतः आज 31 जुलाई 20 के दिन बकरीद वाला दिन होगा | सम्पूर्ण धरती को तीन दिन तक पशुओं के खूनसे रंगाया जायगा | अर्थात जिसे कुर्वानी समर्पण सेकरीफाईज भी कहते हैं | यह तीन दिन तक कुर्वानी दिया जा सकता है | यह इस्लाम की बुनियादों में पाँचवा पिलर माना जाता है |
यह परिपाटी हजरत मुहम्मद {स} से नहीं चली, यह परिपाटी या कार्यक्रम हज़रत इब्राहीम नामी एक पैगम्बर से चली है, जिनके एक दासी थी जो एक राजा ने उन्हें गिफ्ट दिया था जिन दासी का नाम हाजरा था इन्ही दासी से पैगम्बर इब्राहीम ने एक बेटे को उत्पन्न किया था, जिस बेटे का नाम इस्माईल था | कुरान नामी पुस्तक में इसका प्रमाण है |
अल्लाह ने अपने पैगम्बर को ख्वाब दिखाता है, तुम्हारा जो सबसे प्यारा चीज है उसे हमारे रास्ते में कुर्बान करो | जब की उस मां, बेटे को घर से निकाल कर एक मरुभूमि में छोड़ आये थे |
बड़ी लम्बी कहानी है फिर कभी लिखूंगा | इसी लड़के की क़ुरबानी अल्लाह ने चाही, इब्राहीम ने ख्वाब देखा तीन दिन, सुन रहे थे की अल्लाह उन्हें क़ुरबानी देने के लिए खवाब दिखा रहे हैं |
लगातार 100 ,100 , ऊंट रोजाना काटते रहे, अल्लाह को यह सब क़ुरबानी पसंद नहीं | और फिर ख्वाब दिखाया तो इब्राहीम ने जिस मां बेटे को घर से बाहर कर आये थे एक ब्याहबान में छोड़ आये थे, वहां पहुंचे और अपने जन्म दिए बेटे को क़ुरबानी देने के लिए अपने साथ बच्चे की माता से जुदा कर ले गये |
मानव कहलाने वालों को जरुर याद रखना चाहिए की यह तैयारी अल्लाह के कहने पर हुई | यह बात समझ नहीं आई, की जब हम मानव कहते कहलाते हैं खुद को, तो क्या हमें यह जानना नहीं चाहिए की यह काम अल्लाह का क्यों और कैसे हो सकता है ?
इसे खुदा का हुक्म माना है इस्लाम ने, इस्लाम वाले यह जानना नहीं चाहा की खुदा किसी को उसके बेटे की क़ुरबानी किस लिए चाहेंगे ? क्या काम है खुदा का इस क़ुरबानी से ? खुदा को इस कुरबानी से क्या संपर्क ?
खुदा का काम दुनिया चलाने का है या फिर किसी के बेटे की क़ुरबानी लेना है इससे अल्लाह को दुनिया चलाने में क्या सहयोग मिल रहा है पता नहीं ?
यहाँ इस्लाम वाले इसे विचार करने को भी तैयार नहीं और न इसे समझ ने को तैयार हैं ? इससे यह बात मानव समाज में खुल गई की इस्लाम एक अंध विश्वास,अंध भक्ति,अंध परमपरा का नाम है |
यही है मानवता विरोधी कार्य अथवा मानवता विरोधी बातें, अगर हम अपने को मानव कहलाते तो शायद इन अमानवीय बातों को नहीं स्वीकारते यह सभी कार्य अमानवीय है, यही तो कारण बना परमात्मा का उपदेश मनुर्भव: का है {मानव बनो} सम्पूर्ण वेद में यह उपदेश कहीं नहीं आया की, हिन्दू बनो,मुसलमान बनो,या फिर ईसाई बनो या जैनी व बूधिष्ट बनो आदि |
हमें मानव बनकर ही जाना पड़ेगा, किन्तु दुर्भाग्य है, हम मानव कहलाने वालों के लिए की हम जब दुनिया से जाते हैं तो मानव बनकर नहीं जा पाते |
कोई हिन्दू बनाकर जाता है, कोई मुसलमान बनकर जाता है, फिर कोई ईसाई बनकर जाता है | कारण शव देखकर पता चलता है की यह अर्थी किसी मानव का है अथवा कोई मुसलमान या हिन्दू या फिर ईसाई का है ? मानव बनकर नहीं गया वह जो बनकर जा रहा है वे इसी दुनिया में आकर ही यह सब कुछ बना था |
जब कोई दुनियामें आता है सब एक ही तरीके से आता है यह दुनिया में आने के बाद ही उसके घर वाले उसे बना देते हैं, यही हिन्दू मुसलमान ईसाई आदि | विधाता ने जब दुनिया में भेजा किसी को तो, भीम आर्मी बनाकर नहीं भेजा, किसी को शिव सेना बनाकर,या फिर आदम सेना बनाकर भी नहीं भेजा | न मुसलमान, या ईसाई बनाकर भेजा ?
अत: हमें परमात्मा का उपदेश को ही चरियार्थ करना होगा =मनुर्भव: अर्थात मानव बनो यानि हमें मानव ही बनना होगा अगर हम मानव नहीं बन पाए फिर हमारा जीवन ही व्यर्थ होगा | मानव वही है मानों कोई एक बृक्ष लगाना हो जिसके छाया में खुद शीतलता का आनंद लें |
और धरती को छोड़ने से पहले एक बृक्ष ऐसा ही लगाकर जाएँ जिसके नीचे मानव से लेकर पशु पक्षी भी उसके शीतल छाया का आनंद ले सके और आपके लिए भी वे धन्यवाद दे सकें की इस बृक्ष लगाने वाले को धन्यवाद जिसके छायातले हमें ठंडी ठंडी हवा का लाभ मिला, परमात्मा उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें |
यही कारण है मानव बनने का यही कारण बना मनुर्भव: का | तो आयें हम सब मिलकर प्रतिज्ञा करें की हमें मानव बनना हैं न की क़ुरबानी देकर मुसलमान बनना है – और ना वली चढाकर हिन्दू बनना है – और ना तो बप्तिस्मा लेकर ईसाई बनना है | अगर बनना ही है तो हमें मानव ही बनना है |
क़ुरबानी चली कहाँ से ?
इब्राहीम पैगम्बरअल्लाह को सही जवाब नही दे सके |
अल्लाह ने स्वप्न दिखाया इब्राहीम पैगम्बर को, सबसे प्यारा चीज मेरे रास्ते में कुरबानी करो, हजरत इब्राहीम इसका सही जवाब नहीं दे पाए ?
इसका जवाब यह होना था की ऐअल्लाह मानव मात्र का तो सबसे प्यारा आप ही हैं, हर कोई आप का सानिध्य पाना चाहता है और यही मानव जीवन का लक्ष्य है | फिर आप से ज्यादा प्यारा मेरा कौन हो सकता है ?
आप ही मुझसे पूछ रहे हैं की सबसे प्यारा मेरे लिए कौन है ?
आप तो सब कुछ जानने वाले हैं, तो क्या आप को यह जानकारी नहीं की मेरे प्यारा चीज सबसे कौन है ?
ऐ अल्लाह आपने तो कुरान में बहुत बार कहा है इस बात को, मैं जो जानता हूँ वह तुम नहीं जानते ?
तो क्या आप इस चीज को नहीं जानते की मेरे लिये प्यारा क्या है और कौन ? हर मानव कहलाने वाले आप को अपनी आत्मा से ज्यादा प्यारा मानते हैं और कहते भी हैं |
दुनिया वालों आप लोगों को यह मालूम हुवा है की यह ईदुज्जोहा या बकरीद जिसे कहते हैं | यह घटना है पैगम्बर हजरत इब्राहीम के जीवन की, जिसे आज तक इस्लाम के मानने वाले मनाते आ रहे हैं, और जब तक इस्लाम के नाम लेवा धरती पर हैं तब तक यह मनाते रहेंगे और करते भी रहेंगे कुर्बानी को |
बहुत बार लिख चूका हूँ हजरत इब्राहीम अल्लाह का एक पैगम्बर का नाम था जिनकी एक पत्नी थी सारा दूसरी एक दासी थी गिफ्ट में मिला दासी का नाम हाजर |
सारा की संतान अभी जन्म नहीं लिया था, पर दासी से पुत्र जन्म लिया, जिस का नाम इस्माईल था | इस से जरुर समझ रहे होंगे इंसानी फितरत, सारा बीवी सहन नहीं कर सकी और इब्राहीम से कहलवा कर बीवी हांजरऔर बेटे इस्माईल को घर से निकलवा दिया |
उस समय घर से बहुत दूर एक वयहवांन में छोड़ दिया माँ, बेटे को | कहा जाता है की माँ पानी के प्यास में भाग रही थी पानी की तलाश में | पहाड़ों के बीच दौड़ रही थी पानी के लिए,जो रेत को पानी समझ कर भागती रही |
इतने में बेटे ने पैर पटका तो उसी जगह कुवां खुद गया | जिसे आबे जमजम कहा गया जमजम उस कुवें के पानी को कहा जाता है आबे जम, जम, |
इससे यह बात स्पष्ट है के बच्चा इस्माईल उनदिनों छोटा था | कुछ भी था लेकिन इब्राहीम का प्यारा नहीं था | अगर प्यारा होता तो इतने छोटे बच्चे को घरसे बाहर कैसे निकालते ?
अगर अल्लाह ने इसी इस्माईल की क़ुरबानी देने के लिये कहा तुम्हारा जो प्यारा है उसे क़ुरबानी दो | तो इसका मतलब यह भी हुवा की अल्लाह ज्ञानी नहीं है ?
और.इब्राहीम भी अल्लाह को नहीं बताया सच क्या है ? दुनिया के लोग सब से प्यारा अल्लाह को ही मानते हैं यहाँ अल्लाह इब्राहीम का प्यारा इस्माईल को समझे बैठे |
जो सत्य नहीं था अगर अल्लाह सब कुछ जानते हैं पर इन बातों को नहीं जाना की इब्राहीम का प्यारा क्या है जिसे अल्लाह क़ुरबानी देने का आदेश दे रहे हैं इब्राहिम को बताना था इस क़ुरबानी में अल्लाह मैं तो आप का ही नम्बर देख रहा हूँ |आप मानव कहलाने वालों इसपर चिंतन करें =
धन्यवाद के साथ =महेन्द्रपाल आर्य,31 ,7 , 20 =