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   || मदरसा को स्कूल, पाठशाला व विद्यालय बताना गलत है ||

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|| मदरसा को स्कूल, पाठशाला व विद्यालय बताना गलत है ||

आसाम सरकार ने अपने सरकारी धन मदरसे मदन पढने वालों पर देने से मना कर दिया यह राष्ट्र हित में बहुत बड़ा लिया गया फैसला है | और सभी प्रान्तीय सरकार को चाहिए सरकारी धन किसी भी इस्लामिक मदरसे में न लगाया जाना |

 

पिछले दिन महाराष्ट्र सरकार ने बहुत ही ठीक कहा था, की जहाँ स्कुल में गणित व विज्ञान की पढाई नही है उसे स्कूल कहना कैसे संभव है ?

 

प्राथमिक विषय नहीं पढ़ाने वाले मदरसे स्कूल नहीं माने जाएंगे :- महाराष्ट्र सरकार | महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडनवीस जी ने कहा था | महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला स्वागत पूर्ण फैसला है, यह सम्पूर्ण देश में लागु होना चाहिए, उसी दिन मैंने यह लिखा था |

 

मैंने इस पर अपनी पुस्तक में स्पष्ट लिखा की मदरसा को भारत सरकार का अनुदान देना गलत है  फिर प्रधान मन्त्री ने भी जब सौ करोड़ देने की बात की उस समय भी मैंने लिखा था, सौ करोड़ दें अथवा लाख करोड़ दें मदरसे की पढाई कुरान, और हदीसों की ही होगी |

 

जहां केवल मात्र इस्लामिक शिक्षा ही होगी दुनियादारी भारतीयता की कोई शिक्षा उसमें नही है, और भारत विरोधी शिक्षा ही सिखाये, पढ़ाये जायेंगे |  भारत काफिरों का देश है, गैर मुस्लिमों का देश है आदि, आदि सिखाये जाएँगे, बच्चोंके दिल और दिमाग में अरब, अरबी भाषा, अरब देश ही भरे जायेंगे |

 

अरब देश में जन्मे पैगम्बरों की जीवनी पढ़ाये जायेंगे,  भारत में जन्मे किसी भी मुनि ऋषियों की अथवा किसी भी महापूरूषों की जीवन की कोई घटना उसमें नही बताये, सिखाये, पढ़ाये जायेंगे |

 

मैंने बहुत पहले ही अपनी पुस्तक में दर्शाया है, की मदरसे में ही विवाद क्यों ? उनदिनों NDA की ही सरकार थी अडवाणी जी भारत भर में जगह- जगह मदरसे का सर्वे कर रहे थे | हर मदरसे में पढाई जाने वाली किताब जो उर्दू में है तालीमुल इसलाम { इस्लाम की शिक्षा } जिसके लेखक मौलाना मुफ़्ती किफायतुल्लाह साहब है | यह किताब दुनिया भर के मदरसे में पढाई जाती है |

 

मात्र भारत में नही मदरसा ईरान, अफगानिस्तान, मिस्र, व पाकिस्तान में, बंगला देश में हो हर मदरसे में यह किताब पढ़ाई जाती है | उस किताब में सबक क्या है मै एक छोटा सा नमूना आप सभी भारत वासियों को दे रहा हूँ उसे ध्यान से पढ़ें सत्य का पता लगेगा |

 

भारत सरकार को गंभीरता से इस पर विचार करना चाहिए की भारत के खर्चे से भारत के खिलाफ मदरसे में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, भारत विरोधी मानवता विरोधी शिक्षा देकर भी कोई अपने को राष्ट्रवादी कहें अथवा माने यह सरासर इस राष्ट्र के साथ धोखा है, देखें इसलामिक शिक्षा को भली भांति कैसा है ?

इस्लाम की तालीम देखें, इस किताब का नाम है. तालीमुल इस्लाम है जो 4 भाग है यह किताब उर्दू में है जो क्लास में पढाई जाती है मदरसे में | इसके लेखक हैं मुफ़्ती किफायतुल्ला साहब इन किताबों में इस्लाम क्या है वह छोटे-छोटे बच्चों के दिमाग में किस प्रकार भर दिया जा रहा है बचपन से वह देखने और समझने की बात है की मानव समाज को किस प्रकार मुस्लिम और गैर मुस्लिमों में बाँटने की परिपाटी सिखाया जा रहा है |

 

क्या इस्लाम के मानने वाले इस बात से इंकार कर सकते हैं ? देखें क्या लिखा है | यहाँ पहला सवाल किया गया:– तुम कौन हो ? यानि मज़हब की लिहाज से तुम्हारा नाम क्या है ?

जवाब:- मुस्लमान– यह किताब सवाल ज़वाब के रूप में ही लिखी गयी जिससे की बच्चों के दिमाग में सही-सही घूस जाये |

सवाल:– मुस्लमान के मजहब का नाम क्या है, या तुम्हारा मजहब का नाम क्या है ?         ज़वाब:– इस्लाम—

सवाल:- इस्लाम क्या सिखाता है, या इस्लाम किस मजहब को कहते है ?                            जवाब:- इस्लाम यह सिखाता है खुदा एक है, बंदगी के लायक वही है और हज़रत मुहम्मद मुस्तफा [स] खुदा ताला के बन्दे और उसके रसूल हैं, कुरानशरीफ | खुदातायला की किताब है इस्लाम सच्चा मजहब है, दीन और दुनिया की तमाम भलाईयां और नेक बातें इस्लाम सिखाता है |

सवाल:– इस्लाम का कलमा क्या है ?                                                                           जवाब:– इस्लाम का कलमा यह है, “ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसूलल्लाह”, अर्थ= अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायेक नहीं, हज़रत मुहम्मद [स] अल्लाह के रसूल हैं | इस कलमा को, कलमा तैयब और कलमा तौहीद कहते हैं |                                                                       सवाल:– कलमा शहादत किसे कहते है ?

जवाब :-कलमा शहादत का अर्थ = गवाही देता हूँ मैं नहीं है कोई माबूद अल्लाह को छोड़ कर और गवाही देता हूँ मैं मुहम्मद {स} अल्लाह का बन्दा और उसका रसूल है |

नोट:- इस्लाम अगर सच्चा दीन है, तो क्या बाकि सब झूठे हैं ? इसमें लिखा है कि कुरान शरीफ खुदायताला की किताब है, पर आज तक यह प्रमाणित नहीं कर सके |  इस्लाम सच्चा दीन है, मतलब बाकि जितने भी हैं इस्लाम सबको झूठा मानता है | दुनिया की तमाम भलाईयां और नेक बातें इस्लाम सिखाती है, मतलब निकला की इस्लाम से बाहर जितने भी हैं वह सभी गलत और बुराइयाँ सिखाती है ? इस इस्लाम की बुनियादी तालीम पर विचार करें की जो इस्लाम से अलग हैं उनके प्रति किस प्रकार नफरत और भेद भाव बच्चों के दिमाग में डाल कर मानव समाज को दूषित किया जा रहा है |            महेन्द्र पाल आर्य =16 /10 /20 =

 

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