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लोग अग्निवेश की झूठी प्रशंसा में लगे ||

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लोग अग्निवेश की झूठी प्रशंसा में लगे ||
कल मुझे यह जानकारी मिली थी फिर मैं चित्र सहित पोष्ट डाला |
मेरा सवाल उन लोगों से है जो लोग अग्निवेश के नाम से माला जप रहे हैं |
अग्निवेश प्रथम से ही आर्य समाज को अस्थिर करता रहा अग्निवेश हमेशा वैदिक मान्यता के विरुद्ध प्रचार करता रहा |
एकबार कि बात है जब राम मंदिर का शिला पूजन चल रहा था मुलायम सरकार ने कार सेवकों पर गोली चलवाई थी, सड़क चलते लाल वस्त्र वाले सन्यासियों को जेल भेज रहे थे | इसी समय अग्निवेश कोलकाता से प्रताप गढ़ के कुंडा आर्य समाज पहुंचे उन्हें पुलिस नहीं पकड़ी मेरा सवाल है क्यों ?
ज़वाब दे उनकी प्रशंसा करने वाले | वह सेकुलर वादी होने का पहला प्रमाण उनकी प्रशंसा करने वालों मेरे लेख को पढ़ कर देखो |
उस कार्यक्रम में मैं था, ज्वलंत कुमार, और आशाराम भजनोपदेशक | रात्रि कालीन सत्र में अग्निवेश ने बोला एक बार मैं कुम्भ के मेले में गया देखा बड़े बड़े पेट वाले लाला जी चढ़ावा चढ़ा रहे हैं | सन्यासियों से पूछा इनके पास यह पैसा कहाँ से आया ? जवाब मिला इनके पूर्वजन्म के फल हैं |
आप लोगों से मैं कहता हूँ इन पेट वाले लालाओं को पेड़ में बाँध कर लोहे की सलाखा गरम करके इनके पेट में डालें | अगर कुछ कहें तो बताना यह पूर्व जन्म का फल है | मंच से जब जनता से कहने लगे आप लोगों को कुछ पूछना हो तो बताएं, मैंने कहा स्वामी जी मैं सवाल करूं कहा जी जी पूछें |
मैंने कहा आप सब में बराबरी लाना चाहते हैं ? कहा जी- तो मैंने कहा जिस कुर्सी में आप बैठते हैं उसमें आप अपने नौकर को बैठने देंगे ? पहली बात तो यह है जब आप बराबरी चाहते हैं तो आप के पास नौकर क्यों ?
फिर मैने कहा एक कुत्ता कार में बैठ कर जा रहा है दूसरा कुत्ता इस दूकान में उस दूकान में पत्ता चांट रहा है इनमें बराबरी कैसे लायेंगे आप ? अग्निवेश के पास कोई जवाब ही नहीं था | यज्ञ को स्वाहा एंड कपनी कहा, मेरे किये गये सवालों से दूसरा दिन वहाँ से भाग निकले | उसी कुंडा के दो लड़कों को दिल्ली लेकर आये जिन्हें कोई काम नहीं दिया केवल बहकाते रहे | कुछ दिन रह कर वह दोनों वापस चले गये, आज भी उन दोनों से कोई भी पूछ सकता है |
उन दिनों मैं ऋषि सिद्धान्त रक्षणी सभा का मैं मंत्री था, एक मासिक पत्रिका निकलती थी ऋषि सिद्धान्त रक्षक इसका मैं संपादक था |
1 = प्रथम लेख मेरा था आज आर्य समाज में आज हावी कौन ?
2 =दूसरा लिखा घर को आग लगी घर के चिराग से |
3 = तीसरा लिखा -सन्यास के नाम पर वैदिक मर्यादा पर कुठाराघात |
4 = चौथा लिखा अग्निवेश डाट काम में आखिर क्या है ?
5 = पांचवा लिखा लाल वस्त्रधारी को साथ लिए फिर रहे लाल बुझक्कड़ |
6 = छठा लिखा आर्य समाज में वह आग लगी जिसमें धुंआ नहीं |
7 = सातवाँ लिखा अग्निवेश के बयान में कितना झूठ कितना सच |
8 = आठवाँ लिखा अब टंकारा भी राजघाट बनने कि कगार पर |
9 = नवाँ लिखा यह फ़रियाद मैं किससे करूं ?
10 = दसवां लिखा लाल पगड़ी में सर्व धर्म चेतना का स्वांग |
11 = ग्यारहवाँ लिखा एषणाओं की तृष्णा बुझानें की दौड़ में अग्निवेश |
12 =बारहवां लिखा अग्निवेश न मार्क्सवादी है, न समाजवादी मात्र सुविधावादी |
13 = तेरहवां लिखा अरे गाफिलो एक हो जाओ गर मार गैरों कि खानी नहीं |
बहुत बड़ी लिस्ट है इसमें कुछ लेखों का शीर्षक आप लोगों को बताया, मेरी पुस्तक मस्जिद से यज्ञशाला कि ओर में भी पढ़ सकते हैं | मेरी चुनौती है अग्निवेश समर्थकों को, मेरी एक भी बात गलत निकल गई तो मुझे जो चाहे दण्ड देना | अगर बात सच्ची हो तो आर्य समाज का चौथा नियम क्या है उसे पढ़ लेना |
धन्यवाद के साथ महेन्द्र पाल आर्य = 8/10/22

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