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4 वर्ष पहले इंशाल्लाह कहाँ था ?

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|| 4 वर्ष पहले इंशाअल्लाह कहाँ था ?

कल रात को मैं देख रहा था प्रायः tv चेनलों में चुनाव समाचार को बताते हुए तबस्सुम बेगम को बार बार दिखाया जा रहा था और उनसे उनके विचार वह क्या बोल रही हैं यही दिखा रहे थे | और तबस्सुम बेगम बार बार कह रही थीं अल्लाह का फज़ल है हमारी जीत हुई है,इंशाल्लाह हम इन्हें धुल चटायेंगे | अब सवाल पैदा होता है की तबस्सुम बेगम की जीत अगर अल्लाह की मर्ज़ी से हुई, तो हारने वाले हारे किनकी मर्ज़ी से ? आइये हम देखलेते हैं इंशाल्लाह है क्या है ? अर्थ {अल्लाह ने चाहां तो |

यही वाक्य हर मुसलमानों के जुबान से सुना जाता है, इससे यह पता लगा की इन इस्लाम वालों ने इसी अल्लाह को परमात्मा के साथ जोड़ा है,जो बिलकुल असत्य है | कारण परमात्मा का काम चाहने का नहीं है, और ना चाहने की भी नहीं | यह चाहने का मतलब वह चाहता है यानि उस चाहने वाली चीजों की कमी है जो चाहता है | अगर उसके पास हो तो भला वह चाहेगा क्यों ?

 

यही बात पिछले दिनों आतंकवादी संगठन का सरगना हाफिज सईद ने भी कई बार कहा, भारत को देख लेंगे मोदी की देख लेंगे इंशाल्लाह |  पाकिस्तान के मियाँ मुशर्रफ़ भी बहुत बार बोला इसी वाक्य को | फिर नवाज़ शरीफ ने भी बोला और पाकिस्तान के रक्षामंत्री माननीय ख्वाजा साहब अपना बयान दे रहे थे  जिसमें उन्हों ने कई बार कहा अल्लाह के फज़ल से हमने सभी हथियार सुरक्षित करलिये है,  इंशाअल्लाह हम उन सभी हथियारों को भारत पर प्रयोग करेंगे | अगर भारत पानी बन्द करे और अन्य किसी भी प्रकार भारत पाकिस्तान पर कोई भी कार्यवाही करे तो इंशाअल्लाह हम सभी प्रकार से तैयार हैं अल्लाह ने चाहा तो सभी जवाबी कार्य करेंगे |

भारत वासियों यह मत समझना की यह वाक्य सिर्फ पाकिस्तान और भारत के मुसलमान बोलते हैं, ऐसा नहीं है किन्तु हर मुस्लमान ही इसी वाक्य को दोहराते हैं बोलते हैं अल्लाह इन मुसलमानों का ही है इससे यह प्रमाण भी मिलगया, जो अल्लाह ने बार बार कुरान में कहा है | अब सवाल यह उठता है की जो कायनात का बनाने वाला होगा वह किसी वर्ग या सम्प्रोदाय का किस लिए होगा ? यही अन्तर है अल्लाह में और ईश्वर में |

 

मुसलमान तो इस बात को जानता है की, अल्लाह ईश्वर नहीं, पर हिन्दू इसे जानने और समझने को ही तैयार नहीं, अब कौन बचाए इन हिन्दुओं को ? अगर बताया जाय सत्य को तो मानने को भी राजी नहीं, यह है हिन्दू मानसिकता |

अब सवाल यह है कि, क्या पाकिस्तानी रक्षा मंत्री यह मान रहे हैं, कि अल्लाह हमें कामियाबी दिलाएंगे, भारत के खिलाफ पाकिस्तान को फतेह दिलाएंगे |
शायद पाकिस्तानी रक्षामंत्री यह भूल रहे हैं कि इससे पहले अल्लाह ने पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की मदद नही की थी | जितना भी इंशाअल्लाह चिल्लाव, माशा अल्लाह, कहे जाव | इसका कारण इस्लाम के मानने वाले जानते ही नही और ना वह इस सत्य को कभी स्वीकार किया है और ना वह इस सत्य को स्वीकार कर सकते हैं |

 

कारण क्या है मैं बता रहा हूँ, पहली बात है कि कोई भी मानवीय कार्य, यानि जो काम मानव का है वह काम परमात्मा नही करते | इंसानी कामों को परमात्मा किसलिए करेंगे भला ?

पाकिस्तानी रक्षामंत्री, नही जानते और ना ही इस्लाम जानता है इसबात को |

भले ही यह इंशाअल्लाह कहें माशाल्लाह बोलें कुछ भी कहे, यह इन लोगों की अज्ञानता है, हर काम में उस अल्लाह कि मर्ज़ी बताते हैं | अगर यही बात थी तो पाकिस्तान 4 बार भारत से हारा किस लिए ? क्या उस समय अल्लाह ने पाकिस्तान के लिए आँखें बन्द कर ली थी ? उस समय इंशाअल्लाह माशाल्लाह काम किस लिए नही आया ? जब उत्तर प्रदेश में इन लोकदल की हार हुई, सपा,बसपा की हार हुई थी उस समय इंशाल्लाह कहाँ सो रहे थे ? अथवा यह वाक्य कहाँ धरा रहगया था ? यह इंशाल्लाह कहने वाले कहाँ सो गये थे ?
मानव कृत कार्य परमात्मा का नही है, भले ही अल्लाह का हो सकता है कारण अल्लाह परमात्मा नही है | यह सारा अमानवीय कार्य अल्लाह का है परमात्मा कभी भी मानवीय कार्य नही करते, और ना तो कोई गलत काम करने में परमात्मा किसी इन्सान को मदद करता है | कारण परमात्मा पर पक्षपात का दोष लगेगा, जो इस्लाम वालों को पता ही नही |
परमात्मा और मानव का काम बटा हुवा है जहाँ परमात्मा का काम समाप्त होता है फिर मानव का काम शुरू होता है | जैसा पेड़ लगाते हम इन्सान हैं, किन्तु उस पेड़ में हम इन्सान फल नही लगा सकते | पेड़ आम का लगाया उसमें जामुन का फल नहीं निकाल सकते | लगाया इमली तो उसमें से शरीफा नही तोड़ सकते |

अर्थात पेड़ लगाना इंसानी काम है वह परमात्मा नही करते किन्तु जब पेड़ लगाना इन्सान का ख़त्म हुवा फिर परमात्मा का काम शुरू हुवा | जब यह ज्ञान ही इन्सान को ना हो तो अज्ञानी जैसी बातें पाकिस्तानी रक्षा मंत्री अल्लाह से जीत दिलाना चाहते पाकिस्तान को | और भारत में तबस्सुम बेगम यही काम भारत में आगले 2019 में पुरे u,p, में इंशाअल्लाह से लोकदल को सम्पूर्ण सीट दिलवाकर दिखाए |

 

यह काम अल्लाह का हो सकता है परमात्मा का नहीं, इस सत्यता का जानना मानव मात्र का काम है, तबस्सुम बेगम का इंटरव्यू लेने वालों पत्रकारों से भी यह पूछना अथवा tv चेनल में बैठ कर अबुआज़मी जैसे इंशाल्लाह कहने वालों को पलट कर यह नहीं पुछ सके की अल्लाह की मर्ज़ी से आप लोग जीते हैं तो उनदिनों अल्लाह की मर्ज़ी क्यों नहीं हुई जब आप लोगों की हार हुई थी ?

 

अगर यह अल्लाह का काम होता तो भारत के पास ही नही आज दुनिया के सामने पाकिस्तान शर्मसार क्यों होता ? इंशाअल्लाह माशाल्लाह से काम हो पा रहा है क्या ? इसे देख कर भी लोगों की आँखें नहीं खुलती कि मानव कृत कार्य परमात्मा का नही हैं फिर भी उसी परमात्मा का नाम मानव कृत कार्य में जोड़ कर उसे पक्षपाती बनाने का दोष लगा रहें, जो बहुत बड़ी भूल है | और इससे यह भी पता लगता है कि मानव कहलाने वाले हो कर भी परमात्मा को जानने उसके कार्य को समझने का प्रयास ही नही किया हमें परमात्मा को और उसके कार्य को जानना चाहिए तभी हम मानव कहलाने के अधिकारी बन सकते हैं |

महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक प्रवक्ता= 1 / 6 / 2018 =

 

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