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|| DP Sharma द्वारा किये गए सवाल ||

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|| DP शर्मा द्वारा किये गये सवाल ||

विनम्र प्रार्थना है की, कृपया बताने की महती कृपा करें, की प्रातः वन्दनीय स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के, मानव हितैषी सिद्धान्तों पर प्रतिबद्ध होकर आज कौन, कौन से आर्य समाज मन्दिर व संस्थाएं मानवता के कल्याण में निर्विवाद कार्यरत हैं ?

मेरे द्वारा दिया गया जवाब

आदरणीय DP शर्मा जी सादर नमस्ते :- आप ने आर्य समाज मन्दिर ऋषि दयानन्द,और आर्यसमाजी अब कौनसा आर्य समाज मन्दिर ऋषि दयानन्द जी की मान्यता का प्रचार कर रहा है, पुछा ?

आप ने इस सवाल का जवाब  मुझसे लेना चाहा | मेरा जवाब यह होगा, की आप पिछले 1999 से मुझे जानते है, मेरे किये कार्य को देख कर सुनकर, एक पत्रकार होने के नाते मुझसे मिलने आये थे, श्री अयोध्याप्रसाद त्रिपाठी और, पटवारी जी करोलबाग वाले को साथ लेकर |

तब से अब तक आप ने एक पत्रकार होने के नाते सिद्धांतिक दृष्टि से मुझे परखा भी | जवाबमें मैं इतना कहूँगा ऋषि ने आर्य समाज बनाया ना की मंदिर, जब से आर्य समाज मन्दिर नाम हुवा काम भी मन्दिर जैसा होने लगा | प्रमाण आप के सामने है पिछले 2000 में आपने देखा आर्य समाज यमुनाविहार दिल्ली में जब मैं, बिना वेतन का पुरोहित, और समाज की देखरेख दरवानी से लेकर समाज की साफ स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी भी खुद निभाता रहे |

आर्यसमाज के एक अधिकारी ने समाज की दिवार में लिखवाया प्रत्येक आत्मा अव्यक्त ब्रह्म है | मैंने इस का विरोध करते हुए उसे चुना से मिटवा दिया था | और उनसे कहा यह ऋषि और वैदिक मान्यता नहीं है | इसपर सार्वदेशिक सभा से लेकर दिल्ली सभा के अधिकारी तक, यमुनाविहार आर्यसमाजियों का साथ दिया | जो सार्वदेशिक सभा का मैं 11 वर्ष तक प्रचारक रहा मेरी बात की अनसुनी हुई और थाना पुलिस तक होती रही जिसमें आप भी मेरे साथ भजन पूरा थाने में कई बार गये |

आर्य समाज के अधिकारी तो वही लोग हैं जिन्हें वैदिक मान्यता से कोई लेना देना नहीं है और ना तो वह लोग वैदिक सिद्धांत को जानते हैं | और न ऋषि के बनाये गये आर्य समाज के 10 वां नियम को मानते हैं, इस नियम को उलट फेर कर ही समाज को  दिशाहींन बना दिया |

नतीजा यह हुवा की आर्यसमाज अखाडा बनगया पदलोलुपों ने आर्य समाज को जकड़ लिया,और कुर्सी से चिपक गये | आर्य समाज के सम्पत्ति पर काबिज होना ही इनलोगों का उद्देश्य है, यही कारण  बना की ऋषि ने मानव समाज को राष्ट्र, धर्म, वेद, और परमात्मा से जोड़ कर सभी प्रकार के पाखंडों से मुक्ति दिलाते हुए पाखण्ड खंडनी पताका हरिद्वार में फहराए थे |                        आज ऋषि की उसी आर्य समाज में पाखण्ड का पताका, आर्य समाजी कहला कर ही फहरा दिया – जैसा ऋषि ने एक ही धर्म मन सत्य संतान वैदिक धर्म जो मानव मात्र का है बताया | आज आर्य समाजी कहलाकर सर्व धर्म चेतना रैली निकाल रहे है | ओम के साथ बिस्मिल्ला हिररहमा निररहींम, शब्द को जोड़ कर उस परमात्मा के नाम की कमी को पूरा करना चाहते हैं ? क्या यह वाक्य ओम अपने आप में पूर्ण नहीं है ?

कह कर ऋषि को बदनाम करने में भी संकोच नही करते और ना शर्माते | इन्हें जो लोग समर्थन कर रहे हैं वही अपने को सार्वदेशिक सभा का प्रधान बता रहे हैं | यही कारण है की समाज की जो दशा है वह आपके सामने हैं | महेन्द्रपालआर्य | वैदिक प्रवक्ता =दिल्ली =11 /6 /17 =

 

 

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