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बाइबिल का यहोवा एक मेडिकल सर्जन है कैसा, देखें बाइबिल से ||
अब देखें मनुष्य की उत्पत्ति
जिस समय प्रभु ईश्वर ने पृथ्वी और आकाश को बनाया,उस समय पृथ्वी पर न तो जंगली पौधे थे और न खेतों में घांस उगी थी, क्यों की प्रभु ईश्वर ने पृथ्वी पर पानी नहीं बरसाया था, और कोई मनुष्य भी नहीं था जो खेती बारी करे | किन्तु भूमि में से जलप्रवाह निकले और समस्त धरती सींचने लगे | प्रभु ने धरती की मिटटी से मनुष्य को गड़ा, और उसके नथुनी में प्राण वायु फूंकदी | इस प्रकार मनुष्य एक सजीव सत्व बन गे |
इसके बाद ईश्वर ने पूर्व की ओर अदन में एक बाटिका लगायी और उसमें अपने द्वारा गड़े इस मनुष्य को रखा | प्रभु ईश्वर ने धरती से सब प्रकार के बृक्ष उगाये, जो देखने में सुन्दर थे और जिनके फल स्वादिष्ट थे |
 
वाटिका के बीचोबीच जीवन बृक्ष था, और भले बुरे के ज्ञान का बृक्ष भी | अदन से वाटिका को सींचने वाली एक नदी निकलती थी और वहां वह चार धारा में विभाजित हो जाती थी | पहली धारा का नाम पिशोंन है, यह वह धरा है, जो पुरे हबीला देश के चारों ओर बहती है | वहां सोना पाया जाता है | उस देश का सोना अच्छा होता है | वहां गुग्गल और गोमेद भी मिलते हैं | दूसरी धारा का नाम गीहोंन है | यह कुश देश के चारों ओर बहती है | तीसरी धारा का नाम दजला है | यह अस्सुर के पूर्व में बहती है | चौथी धारा का नाम फ़रात है | प्रभु ईश्वर ने मनुष्य को यह आदेश दिया, तुम बाटिका सभी बृक्षों के फल खा सकते हो, किन्तु भले बुरे के ज्ञान के बृक्ष का फल नहीं खाना, क्यों की जिस दिंन तुम उसका फल खाव गे तुम अवश्य मर जाओगे” |
 
प्रभु न कहा एकला रहना मनुष्य के लिए अच्छा नहीं | इसलिए मैं उसके लिए एक उपयुक्त सहयोगी बनाऊंगा | तब प्रभु ने मिटटी से पृथ्वी पर के सभी पशुओं और आकाश के सभी पक्षियों को गढ़ा, और यह देखने के लिए की मनुष्य उन्हें क्या नाम देगा, वह उन्हें मनुष्य के पास ले चला | क्योंकी मनुष्य ने प्रत्येक को जो नाम दिया होगा वही उसका नाम रहेगा | मनुष्य ने सभी घरेलु पशुओं, आकाश के पक्षियों और सभीजंगली जीव जन्तुओं का नामरखा| किन्तु उसे अपने लिए उपयुक्त सहयोगी नहीं मिला |
 
तब प्रभु ईश्वर ने मनुष्य को गहरी नींद में सुला दिया और जब वह सो गया, तो प्रभु ने उसकी एक पसली निकाल ली और उसकी जगह को मांस से भर दिया | इसके बाद प्रभु ने मनुष्य से निकाली हुई पसली से एक स्त्री को गढ़ा और उस मनुष्य के पास ले गया | इस पर मनुष्य बोल उठा यह तो मेरी हड्डियों की हड्डी है और मेरे मांस का मांस | इसका नाम नारी होगा क्यों की यह तो नर से निकाली गयी हैं | इस कारण पुइरुष अपने पुरुष अपने माता पिता को छोड़े गा और अपनी पत्नी के साथ रहेगा |और वे दोनों एक शारीर हो जायेगा | वह मनुष्य और उसकी पत्नी, दोनों नंगे थे, फिर भी उन्हें एक दुसरे के सामने लज्जा का अनुभव नहीं होता था | यहाँ आयात न० १+२५ तक है
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक व्रवक्ता =24 /4 /18 =

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