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न जाने क्या स्वार्थ है गॉड या अल्लाह को ?

Mahender Pal Arya
न जाने क्या स्वार्थ है गॉड या अल्लाह को ?
बाइबिल, का यहोवा गोड, और कुरान का अल्लाह, कुँवारी से संतान जन्म देने को गलत नहीं मानते पता नहीं मानवता का ज्ञान भी गॉड या अल्लाह को है अथवा नहीं ? मानव कहलाने वाले जिस मानवता के नियम का पालन करता हैं वह नियम बनाने वाले का नाम ही परमात्मा है |
परमात्मा ने यह नियम मानव मात्र के लिए बनाया है इस नियम को भंग करने वाले को मानव समाज में अपराधी, और गुनाहगार व पापी कहते है | यह शब्द या नियम बनाने वाले का नाम सृष्टि के रचयिता परमपिता परमात्मा है | और इसी नियम का भंग करने वाले का नाम है गॉड, और अल्लाह |
मानव कहलाने वालों जरा अल्लाह की कलाम पर ध्यान दें एक वर्ग के मानव, वादा करके उसे पूरा नहीं किया, अब वादा किससे की, तो पता लगा अल्लाह से वादा किया था एक कौम के लोग, जिसे वह वादा करने वाले उस वादे को नहीं निभाया | अब सवाल आता है की अल्लाह के साथ मानव का वादा क्यों और कैसे ?
दुनियादारी में तो यह होता है, कोई किसी से वादा करके उसे नहीं निभा पाते है | पर अल्लाह से किसी का वादा करने का क्या मतलब ? इधर कहा गया अल्लाह छुपी और खुली बातों को भी जानता है हर इन्सान के दिलकी बातों को भी जानता है | तो क्या अल्लाह नहीं जानते थे की यह झूठी वादा कर रहे हैं यह लोग ? देखें तमाशा अल्लाह का, की इन्सान इन्सान से तो झूठी वादा करते है पर अल्लाह से भी झूटी वादाकर रहे हैं और अल्लाह को पता भी नहीं लग पाया,की यह लोग मुझसे झूठी वादा कर रहे हैं ?
यह सब हो जाने पर भी अल्लाह का यह कहना की तमाम प्रकाशित अ प्रकाशित बातों को जानता है यह सत्य मालूम पड़ रहा है क्या ? अल्लाह से किये गये वादा को अल्लाह खुद दुनिया वालों को बता रहे हैं, की अहले किताब वालों ने मुझसे झूठी वादा किया था जो इनकी दूसरी गलती थी |
अब तीसरी गलती भी बता रहे हैं अल्लाह क्या है वह देखें | तीसरी गलती उन लोगों की यह थी की बे वजह अम्बियायों {पैगम्बरों} को कतल कर देना | अब देखें पैगम्बर अल्लाह का और उन्हें क़त्ल कर रहे हैं अहले किताब मूसा के ज़माने के लोग, अब यह अहले किताब अल्लाह के विपरीत थे, और अल्लाह ने उन विरोधियों के हाथों से अल्लाह अपने पैगम्बरों को नहीं बचा सके | अल्लाह की कुदरत क्या है उसे आप लोग देखते जाएँ परखते जाएँ और विचार भी करें की सही अर्थों में यह कलाम अल्लाह का है ?
फिर उनलोगों की चौथी गलती भी गिनवाया जा रहा है, वह क्या है देखें, उनलोगों का यह कहना था की हमारा दिल गिलाफों में है, अर्थात पर्दों में है | यानि वह लोग यह कह रहे थे की ऐ नबी तुम्हारी दावतों से हमारे दिल परदे में है, और यह भी कहा गया की उनके इस कौल कथन का मतलब यह था के हमारा दिल ईलम से भरा है | क्यों के उन के दिल कुफर में पक्के हो चुकेथे |
फिर पांचवां गलती उन लोगों की यह थी के उन अहले किताब वालों ने बहुत बड़ी गलती यह की सैयदा मरयम {जोयीशु } की माँ थे उन्हें यह अहले किताब वालों ने व्यभिचारिणी बता दिया था | यह आरोप बहुत ही शर्मनाक {लज्जास्पद} थे यह उन लोगों का कहना था जो अल्लाह की नज़र में बहुत बड़ा जुर्म बताया गया है | और वह लोग यहाँतक कहते रहे की यह हमल {गर्व} जिनाह {व्यभिचार} से ठहरा है, जिस में हज़रत ईसा का पैदायश बतलाया | इस प्रकार वह लोग मरियम को बदनाम करने लगे जो इन की पाँचवा गलती थी | यह सब कहने के बाद उनपर अल्लाह की फटकार हुई |
एक बात यह समझ में नहीं आती की कोई एक महिला कुंवारीपन में संतान जन्म दे तो लोकाचार में जो भी सुने गा वही कहेगा की यह मामला सही नहीं है, यह बातें मानवता विरुद्ध है | सृष्टि नियम विरुद्ध है विज्ञानं विरुद्ध भी है, मानव समाज के भी विरुद्ध है कोई भी सुने गा मानव कहलाने वाला वह भी अच्छी निगाह से नहीं देखेंगे | सन्देह के नज़र से देखेंगे, और मानव समाज भी इसे सच नहीं मानेगा और शक की निगाह से देखेंगे |
आश्चर्य की बात यह है की कुरानी अल्लाह और बाइबिल का गॉड इसे सत्य सिद्ध करने में लगे हुए हैं | न जाने अल्लाह या गॉड को इससे क्या लाभ है ? इस प्रमाण से अल्लाह अपनी कुदरत दिखाना चाह रहे हैं | की मैं यह भी कर सकता हूँ, अर्थात एक कुंवारी से संतान बनाना मेरे लिए कोई कठिन काम नहीं है इस कार्य में खुदा वरदहस्त रखते हैं | इस कुंवारी से संतान पैदा करके खुदा अपनी खुदाई दिखा रहे हैं, अल्लाह का कहना क्या है उसे देखें, परखें और विचार करें की मानवता को भंग करने वाले का नाम ही यहोवा है गॉड है, और अल्लाह भी है | महेन्द्रपाल आर्य -20 /5 20 =