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प्रणव मुखर्जी को प्रधान मंत्री क्यों नहीं बनाया था ?

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प्रणव मुखर्जी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सके थे ?
जिस सत्य के वल पर सम्पूर्ण मानव समाज को जिन ऋषिओं के माध्यम से ज्ञान मिला है, मानवता मिली है, ईश्वर = वेद =धर्म = और राष्ट्र मिला है |

सम्पूर्ण धरती पर मानव को मानव कहलाने का बोध कराया है | आज उसी देश के लोग यह नहीं समझ सके कौन देश भक्त हैं ? अर्थात इस देश के मूल निवासी कौन है आज तक नहीं जान पाए ?

भारत के लोग आज उनके समर्थन में लगे हैं जो,इटली का पासपोर्ट बना रखा हो | जिसने अपने नानी के घर को अपना देश माना हो, आज तक जिसने अपना नाम भी बताने को तैयार नहीं | भारत वासियों को धोखा दे रहा है आज तक अपना मां बेटा का असली नाम क्या है यही नहीं बताया की आखिर वह है कौन जिसे भारत के लोग सराखों पर बिठा रहे हैं ?

धोखा देकर कभी हिन्दू बताया, कभी जनेऊधारी ब्राह्मण बताया और कभी कुछ बता रहा है | क्या भारत वासियों को नहीं मालूम की उसका दादा एक पारसी सम्प्रोदाय के थे | यह दत्तात्रेय गोत्र बता कर धोखा दे रहा है, और भारत के लोग भाई बहन के पीछे लट्टू हो रहे हैं |

कभी गंगा स्नान को जा रहे हैं, कभी मन्दिर को सर टिका रहे हैं, कभी भारत के नामी गिरामी मंदिरों में पहुंच रहे हैं | क्या दिखाना, बताना चाहते हैं भारत के लोग इस सत्यता को जानना भी नहीं चाहते, आखिर क्यों ?

उन कांग्रेसी जनों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए जो उसका समर्थन कर रहे हैं | 1885 में भारतीय कांग्रेस पार्टी बनी, जिसमें भारत के ही लोग इस पार्टी को चलाते रहे | यह पार्टी बनी अंग्रेजों द्वारा, इसे चलानेकी मन्त्रणा भी उन्हीं अंग्रेजों का रहा | उस समय से लेकर आज तक इस भारत में इतने नेता रहे किन्तु इस पार्टी को वंशवाद से अलग नहीं कर पाए | भारत के प्रवुद्ध नेता को कांग्रेस में जगह ही नहीं दिया गया, जहाँ के वह लायेक थे | घर परिवार के लोग ही इस पार्टी के मुखिया रहे | क्या भारत में कोई नेता नहीं जो इस पार्टी को चला सके ?

पर भारत के लोग अकल के अन्धे और गांठ के पुरे बने हुये हैं, इस जालसाजी को समझ नहीं रहे, की जो भारतीय भारत का हित चाहता है उन्हें यह परिवार सामने आने ही नहीं दिया | प्रमाण प्रणवमुखर्जी हमारे सामने मौजूद हैं |

एक सुलझे हुए भारत को मजबूत बनाने वाले भारतीयता को जानने समझने वाले भारत को मजबूत बनाने की मंशा रखने वाले को आगे आने ही नहीं दिया यह सभी बातों को देख कर भी नहीं समझ रहे हैं | जो कांग्रेसी वह स्वार्थी लोग इन्ही अंग्रेजी और विदेशी मानसिकता का समर्थक है | यह सब काले अंग्रेज हैं उनदिनों में भी यही मानसिकता वालों ने ही अंग्रेजों का साथ दिया था |
महेन्द्रपाल आर्य =29 जनवरी 019

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