Vaidik Gyan...
Total:$776.99
Checkout

मन्दिर में नमाज पढना सरासर गलत है कुरान अनुसार|

Share post:

|| मानव समाज में नफरत कुरानी हुक्म है ||

मथुरा के मन्दिर में नमाज पढने वालों को कुरान में देखना चाहिए की मन्दिर में नमाज जायेज है अथवा नहीं ? अल्लाह ने काफिरों और मुशरिकों को अपने मस्जिद में आने को मना किया है,  तो कोई मुसलमान मन्दिर में नमाज किस लिए पढ़ें ? इसका नाम भाई चारा नहीं इसे कहते हैं जबरदस्ती करना समाज को अस्थिर करना आदि |

 

फिर मुसलमानों को अल्लाह ने यह कहकर भड़काना, की यह मुशरिक नापाक हैं अपनी मस्जिद में जाने नहो दो –और उसकी इबादत अल्लाह ने कुबूल की तो क्या यह अल्लाह की नाइंसाफी नहीं है ? यही है अल्लाह और अल्लाह की कलाम पढे लिखे लोग इसपर विचार अवश्य करें |

 

इस कुरान के रहते धरतीपर शांति मानवता और मैत्रीय वातावरण का होना संभव है क्या ? फिर भी इसी कुरान के मानने वाले कहते हैं, भारत में मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है, इस दुर्व्यवहार का जन्म तो कुरान में अल्लाह ने सिखाया है |

वह अपनी मस्जिद में नमाज पढ़ेंगे तो उन मुशरिकों की नमाज कुबूल या स्वीकार्य अल्लाह के नजदीक होगी या नहीं ? अगर यह मुशरिक अपनी इबादत गाह में नमाज पढेंगे और उसीअल्लाह को राजी ख़ुशी के लिए ही इबादत करेंगे, तो अल्लाह उनकी इबादत कुबूल करेंगे या नहीं ?

 

मानव समाज में दुर्व्यवहार का जन्म दाता तो कुरान ही है, देखें प्रमाण कुरान में अल्लाह ने क्या कहा | आज यही कुरान के मानने वाले भारत सरकार पर दोष लगाने में जुटे है | अब कोई फिल्म जगत के लोग लगायें, जब की फिल्म में काम करना इस्लाम में ही हराम है | भारत में जिन्हें उपराष्ट्र पति का पद मिला, उनके द्वारा लगायें जा रहे हों, या इस्लाम जगत का कोई भी व्यक्ति लगा रहे हों,  सरकार पर आरोप की अब भारत में मुसलमान सुरक्षित नहीं है |

क्या वेह लोग अपनी कुरान को नहीं पढ़ते ? जो लोग अपने को आलिम जानकार बताते हैं क्या उन्हें भी यह आयत याद नहीं ?

يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِنَّمَا الْمُشْرِكُونَ نَجَسٌ فَلَا يَقْرَبُوا الْمَسْجِدَ الْحَرَامَ بَعْدَ عَامِهِمْ هَٰذَا ۚ وَإِنْ خِفْتُمْ عَيْلَةً فَسَوْفَ يُغْنِيكُمُ اللَّهُ مِن فَضْلِهِ إِن شَاءَ ۚ إِنَّ اللَّهَ عَلِيمٌ حَكِيمٌ [٩:٢٨]

ऐ ईमानदारों मुशरेकीन तो निरे नजिस {अपवित्र} हैं तो अब वह उस साल के बाद मस्जिदुल हराम (ख़ाना ए काबा) के पास फिर न फटकने पाएँ और अगर तुम (उनसे जुदा होने में) फक़रों फाक़ा से डरते हो तो अनकरीब ही ख़ुदा तुमको अगर चाहेगा तो अपने फज़ल (करम) से ग़नीकर देगा बेशक ख़ुदा बड़ा वाक़िफकार हिकमत वाला है | 9 /28

 

قَاتِلُوا الَّذِينَ لَا يُؤْمِنُونَ بِاللَّهِ وَلَا بِالْيَوْمِ الْآخِرِ وَلَا يُحَرِّمُونَ مَا حَرَّمَ اللَّهُ وَرَسُولُهُ وَلَا يَدِينُونَ دِينَ الْحَقِّ مِنَ الَّذِينَ أُوتُوا الْكِتَابَ حَتَّىٰ يُعْطُوا الْجِزْيَةَ عَن يَدٍ وَهُمْ صَاغِرُونَ [٩:٢٩]

अहले किताब में से जो लोग न तो (दिल से) ख़ुदा ही पर ईमान रखते हैं और न रोज़े आख़िरत पर और न ख़ुदा और उसके रसूल की हराम की हुई चीज़ों को हराम समझते हैं और न सच्चे दीन ही को एख्तियार करते हैं उन लोगों से लड़े जाओ यहाँ तक कि वह लोग ज़लील होकर (अपने) हाथ से जज़िया दे | 9 / 29

अल्लाहताला ने किस प्रकार मानवों में नफरत फैलाया है देखें = मुसलमान अपनी मस्जिद में जाने ना दें वह बात तो अलग है– किन्तु मुसलमानों को उपदेश दिया है अल्लाह ने कि मुशरिकों का शरीर भी नापाक अपवित्र होता है – उन्हें तुम्हारी मस्जिद में आने मत दो |

 

वह अपनी मस्जिद में नमाज पढ़ेंगे तो उन मुशरिकों की नमाज कुबूल या स्वीकार्य अल्लाह के नजदीक होगी या नहीं ? अगर यह मुशरिक अपनी इबादत गाह में नमाज पढेंगे और उसी अल्लाह को राजी ख़ुशी के लिए ही इबादत करेंगे, तो अल्लाह उनकी इबादत कुबूल करेंगे या नहीं

 

मुसलमानों में अल्लाह ने मुशरिकों के प्रति किस प्रकार नफ़रत पैदा कर दिया की उन्हें अपने साथ मत बिठाना वह अपवित्र है |

 

एक बात विचारणीय है की मुशरिक हों अथवा मुसलमान सब मानव कहलाने वाले इबादत करते हैं दुनिया के सृजन करने वाले की और मानव का यह दायित्व और कर्तव्य भी है की यह मानव होने के कारण सृष्टिकर्ता की इबादत अथवा उपासना करना यह मानवों का ही काम है | और इबादत करने के लिए सब अपनी अपनी इबादत गाह बनाते हैं इस धरती पर |

 

उस इबादत गाह का नाम किसी ने मस्जिद कहा= किसीने मन्दिर बताया = किसी ने गुरद्वारा बोला और किसीने गिरजा कह दिया |  पर इन सभी जगहों में उसी दुनिया बनाने वाले की ही इबादत करते हैं लोग. चाहे कोई किसी रूप में करें,जब के सही और सच्चाई तो एक ही होना है | जिन्हें अल्लाह ने मुशरिक कहा और जिन्हें मुसलमानों की मस्जित में जाने से रोका और मुसलमानों से कहा की इन्हें अपनी मस्जिद में आने मत देना, वेह अपवित्र है, यह मान लिया की मुशरिक मुसलमानों की मस्जिद में नहीं भी गये |   फिर मुसलमानों का मन्दिर में नमाज पढना किस अधिकार से सही होगा ?

महेन्द्रपाल आर्य -3 /11 /20

 

Top