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रापुर का जाहिद बनता है रावण का पुतला |

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|| रामपुर का जाहिद बनाता है रावण का पुतला ||
रावण का पुतला बनाता जाहिद नामी एक मुसलमान उ०प्र० के रामपुर में, इसे प्रचार किया जा रहा है, हिन्दू मुस्लिम सौहार्द के नाम से | यह प्रचार करने वाले तथाकथित हिन्दू ही हैं |
हिन्दू कहलाने वाले समझने को तैयार नहीं की उस जाहिद के दिल में सौहार्द नामी कोई भाव नहीं है वह अपना व्यापार कर रहा है, कारण उसे पता है की जो काम वह कर रहा है वह कार्य इस्लाम विरोधी है इस्लाम में पुतला बनाना सख्त मना है | फोटो बनाना बनवाना यह सब इसलाम में निषेध है, ऐसे करने वालों की दुवा अल्लाह कुबूल नहीं करते |
इसलाम जिन्हें पैगम्बर बताता है जिनका नाम हजरत इब्राहीम था, जो मूर्ति पूजा के विरोधी थे और अपने हाथ से अनेक मूर्तियों को कुल्हाड़ी से तोड़ कर बड़ी मूर्ति के कंधे पर कुल्हाड़ी लटका दिया था | इब्राहीम के पिता अजर जिनका नाम था वह उन दिनों मूर्ति बनाते थे जैसा अभी रामपुर का जाहिद बनाता है |
जाहिद जानता है यह काम इस्लाम के खिलाफ है, तथापि वह अपना व्यापार करता है मूर्ति बनाकर और वह यह भी जानता है की जिस मूर्ति को तू बनाता है इसे खरीदने वाले कोई मुस्लमान नहीं होंगे, इसे हिन्दू ही खरीदेगा और तुझे प्रस्तुत भी करेगा हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतिक बताकर | तेरे दोनों हाथमें लड्डू तेरे सामान बिकेंगे हिन्दुओं के पैसोंसे तू मालामाल होगा और तेरा नाम भी रौशन करेगा यही हिन्दू | जिस काम को करने की अनुमति नहीं है इस्लाम में, उसी काम को कर के वह नोट कमा रहा है वहां हिन्दू मुस्लिम में इसी मूर्ति को ले कर विरोध हो तो वह मूर्ति के पक्ष में खड़ा नहीं होगा उस मूर्ति की आरती नहीं उतारेगा किन्तु उसी मूर्ति को तोड़ने वालों के पक्ष में ही खड़ा होगा |
दुनिया में इस प्रकार के अनेक काम है जो इसलाम विरोधी है, उसी काम को इसलाम के मानने वाले ही करते हैं, और श्रेय हिन्दुओं से ले रहे हैं | जैसे फिल्म बनाना इसलाम में वर्जित है फिरभी फ़िल्मी कलाकार प्रायः खान ही है, इसमें हिन्दू लड़कियों से शादी की और इस्लामी रीतीको पालन करने में भी पीछे नहीं रहते जैसे आमिर खान हाजी है, पिछले दिनों में हज करके आया | इस्लाम के दावेदार किसी भी मौलानाओं ने इन लोगों का विरोध कभी किसी ने नहीं किया | यह सब अपने स्वार्थ पूर्ति ही करते हैं अपने स्वार्थ के लिए वह कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं और दुहाई इस्लाम का देते हैं | इस्लाम विरोधी कार्य कर भी इस्लाम के दावेदार हैं इस्लाम के नाम से मरने मिटने को भी तैयार हैं |
हिन्दू अपने अक्ल पर तालाडाल कर उन्ही मुसलमानों को अपने धन से मालामाल करने में लगे हैं, यह समझने को तैयार नहीं हैं हिन्दू की, जिस इस्लाम के मानने वाले हमेशा हिन्दू विरोधी गतिविधि रखते हैं भारत विरोधी नारा लगाते हैं, भारत माता की जय बोलने को तैयार नहीं, बन्देमातरम कहना जिनके लिए गुनाह {अपराध} है, इन मुसल्मानों के हाथ का बना रावण मूर्ति को हम क्यों खरीदें ? इन के बनी फिल्म को किसलिए देखें, यह हिन्दू सोचने को तैयार नहीं | अगर हिन्दू समझदार होते तो इन कट्टर वादी इस्लाम पंथियों को हम धन कमाने का मौका नहीं देते |
भारत में प्रायः देखने को मिलता है हिन्दुओं के जरूरतों का सामान बनाता है मुस्लमान, उसे खरीदते हैं हिन्दू | मुसलमान यह सोचने को भी तैयार नहीं की इन हिन्दुओं के द्वारा हमारा परिवार चलता है इन्ही हिन्दुओं को हम अपना सामान बेच कर ही अपना परिवार पाल रहे हैं यह सब ध्यान इन भारतीय मुसलमानों का नहीं रहता भारत में यत्र तत्र देखने को मिलता है हिन्दुओं के धन से मुसलमान अपना जीविका चलाता है पेट पालने का काम करते हैं |
चाहे वह मुम्बई का बम कांड हो, अथवा जातीय स्मार्क को तोड़ना ही क्यों ना हो यह सारा काम इन्ही इस्लाम के मानने वालों द्वरा ही हो रहा है, जो आये दिन देखने को मिलता रहता हैं, हिन्दू देख कर भी समझने को तैयार नहीं हैं | इसका जो कारण है वह जड पूजा ही है जड पूजते पूजते इनकी दिमाग भी जड़ता को प्राप्त किया है सत्य पर अमल करने को तैयार ही नहीं हैं हिन्दू कहलाने वाले |
आज सम्पूर्ण भारत भर कहीं पर रावण जलाया जा रहा है, तो कहीं पर दुर्गा प्रतिमा की पूजा हो रही हैं | अब कोई रावण जलाये अथवा माँ दुर्गा की पूजा करे इस से जो ज्ञान प्राप्त करना था उस के नजदीक भी नहीं जा सके, जो सीखना था उसे अपने आचरण में नहीं लाये | इसमें सिखने का क्या है जरा धीर दिमाग से सोचें रावण का दस {10} मुंडी बना कर दिखाते हैं | और माँ दुर्गा का दस {10} हाथ बनाकर दिखाते हैं, इस से जो शिक्षा लेना था उसे किनारे कर दिया |
रावण को दस सिर वाला बनाते हैं, किसी भी इन्सान का दस सिर होना संभव नहीं कारण वह सो नहीं सकता, उसका सोना संभव नहीं होगा | वह करवट नहीं ले सकते और ना करवट लेना संभव होगा | रावण चार वेद और छ: दर्शन शास्त्र का जानने वाला था, मर्यादा पुरुषोत्तम से ज्यादा विद्वान था जानकार था, परन्तु उसपर आचरण नहीं करता था |
रावण मानव समाज को ज्ञान दे रहा है की देखो हमारी दशा मैं जानता हूँ किन्तु अमल ना होने के कारण आज हमें तुम लोग अग्नि में जला रहे हो | तुम लोग भी इसे खूब ध्यान रखना की आचरण से ही मानव देवता बनता है, और आचरण ना करने से मानव राक्षस बनता है | देवता कोई आसमान से टपकते नहीं हैं और ना जमींन के अन्दर से निकलते हैं अमल से बनती है जिन्दगी, जन्नत भी और जहन्नुम भी, यह खाक अपनी फितरत में ना नूरी है ना नारी है | { यह वैदिक मनुता नहीं है } जन्नत =और जहन्नुम =
ठीक इसी प्रकार माँ दुर्गा भी अपने संतानों को उपदेश दे रही है 10 {दस} हाथ दिखा कर ऋषि बन्किम चन्द्र ने लिखा है माँ दुर्गा तुमि दस हाथ धारनी | अर्थात दस हाथ धारण करने वाली सिंह पर आसन जमाकर बैठी उपदेश दे रही है, की मेरे संतानों तुम जब तक सँगठित नहीं होगे तो तुम अपनी रक्षा नहीं कर सकते अपने कौम को बचाने के लिए भी तुम्हें एक जुट होना पड़ेगा तभी तुम दुश्मनों से बच सकते हो अपनी कौम को भी बचा सकते हो |
दो हाथ ब्राह्मणों का + दो हाथ क्षत्रियों का + दो हाथ बैषों का + दो हाथ शूद्रों का = और दो हाथ महिलाओं का = 10 यह है तुम्हारा दस जब तुम इस प्रकार संगठित हो जावगे तभी तुम्हारा आसन सिंह पर जमना संभव होगा वरना तुम बिल्ली पर भी नहीं बैठ सकते |
यह है माँ दुर्गा का दिया उपदेश इसे तो कोई हिन्दू जीवन में उतरता ही नहीं सिर्फ इसे तमाशा और रंगरलियाँ समझ कर लोगों से जबरदस्ती चंदा उगाते हैं और मस्ती करते हैं दुर्गा प्रतिमा को कई दिन माँ माँ चिल्लाकर उसे पानी में डुबोते हैं इसे पूजा माना जाता है, जो ज्ञान दुर्गा से लेना था उसे समझने का जानने का प्रयास भी नहीं किया | दिमागी स्तर बढ़ने के बजाय, दिमाग को कुंद बना लिया अपने आप ही, इस पर हमें विचार करना चाहिए और दिमागी संतुलन को ठीक रखते हुए हम मानवता को बरकरार रखें जिस से हमारा मानव जीवन सफल से सफलतम की ओर जा सके | धन्यवाद के साथ
महेन्द्रपाल आर्य =30 / 9 /17

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