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|| zee news,में दिखाया जा रहा फर्जी वाड़ा ||

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विगत कई दिनों से मुझे लोगों से जान कारी मिल रही थी शनिवार, व् रविबार को शाम 7 55 मिनट पर दिखाया जा रहा है प्रोग्राम फ़तेह का फतवा नाम से | मेरे पास यह देखने का साधन ना होने से मैं लोगों का सुनता रहा कुछ प्रतिकृया मैं नही दे पाया था | कल 22 जनवरी को मैंने देखा प्रोग्राम और कल रात ही लिख कर बताया आप लोगों को, आज थोडा इस पर स्पष्टिकरण देना या करना मैं युक्ति युक्त समझा |
दरअसल यह शीर्षक ही गलत है ना जाने किसके द्वारा बनाया गया और यह प्रोग्राम दुनिया वालों को दिखा कर क्या बताना चाहते हैं ईश्वर जाने ? फतवा शब्द इस प्रकार है فتوى } { إستفتاء ] { قانوني راي طلبي } { देखें फतवा का क्या अर्थ है ? क़ानूनी राय तलबी =क़ानूनी राय की जानकारी |
गौर तलब बात यह है की फतवा जो क़ानूनी राय है उसे प्रस्तुत करने का नाम फतवा है, वह फतवा सुनाएगा कौन उसी कानून का जानने वाला कानून गो | जो इस्लामी कानून है उसके जानकार, इसका जो विषय है उसे इस्लामी व्यवस्था में फिकाह कहते है शरीयती कानून के विशेषज्ञ, यह फतवा देने वाले को इस्लाम में मुफ़्ती कहा जाता है |
अब सवाल है की यहाँ फतवा कौन दे रहा है फतेह साहब {तारिकफ़तेह } तो पहला ही प्रश्न होगा क्या तारिक फ़तेह कोई मुफ़्ती हैं ?जवाब मिला नही फिर फ़तेह का फतवा यह क्यों और कैसे संभव होगा?
मतलब हुवा यह कार्यक्रम बिलकुल मनमानी है, जिसने शरीयती कानून को नहीं जाना वह फतवा क्यों और कैसे दे सकते हैं भला ?
रही बात इस्लाम की तो इस्लाम वह चीज है बिलकुल समर्पण कर देना अल्लाह के सामने, अल्लाह ने जो भी बताया उसे दिल से मानना और जुबान से इकरार करना | इसमें ना नुकुर करने की कोई जगह नहीं, संदेह के लिए कोई जगह नही, किसी भी प्रकार कोई शक व् शुबा न करे पूर्णरूप से मान लेने का नाम ही ईमान है | और जो ईमान लाता है, अर्थात मान लेता है बिश्वास करता है उसे ही ईमानदार कहा जाता है, इस्लाम स्वीकारना कहा जाता है, दीनदार भी कहते हैं | इसका ना मानने वाले को क्या काहा जायगा इसके विलोम शब्द को भी जोड़ते जाना |
इससे यह स्पष्ट हो गया की इस्लाम में किसी और के लिए कोई गुनजायश ही नहीं, इस्लाम जो स्वीकार नही करता है अल्लाह के नज़र में व इस्लामिक शिक्षा के दृष्टि से वह सब काफ़िर हैं |
यह लिखा है मौलाना मुफ़्ती किफायतुल्लाह साहब, अपनी पुस्तक तयलिमुल इस्लाम नामिपुस्त्क में जो चार भागो में है | यह पुस्तक भारत से ले कर सम्पूर्ण इस्लामिक देश के हर मदरसे में पढाई जाती है | पिछले दिनों मैंने इसी पुस्तक का उर्दू और हिन्दी दोनों में लिख कर आप लोगों तक पहुंचाया था फेसबुक के माध्यम से | अगर कोई इस्लाम का मानने वाला कहे की हिन्दू को काफ़िर नही कहा गया इस्लाम में, तो वह सरासर झूठ बोल रहा है,या इसे छुपा कर हिन्दुओं को मुर्ख बना रहा है |
चेनल वालों को भी इस्लाम के विषय में कुछ भी जानकारी नही है और न यह सत्य को जानते हैं और ना तो यह सत्य को सामने लाने के लिए इस्लाम के जानकारों को अपने चेनल में बुलाते हैं |
अगर सत्य को जानना चाहे कोई तो इस्लाम के जानकारों को बुलाकर सत्य जनता के सामने रखे तभी बात | सही पूछें तो इस्लाम अपने को छोड़ किसी और को फूटी आँखों से भी देखना नही चाहता,मैंने आप लोगों को बहुत बार लिख कर बताया हूँ इस्लाम में गैर मुस्लिमों का जीने का हक़ नहीं, इस्लाम अपने को छोड़ किसी और को जीने नहीं देना चाहता कुरान ही इसका प्रमाण है | मैंने समय समय पर आप लोगों को बहुत लेख लिख कर दिया हूँ मेरी पुस्तक में भी बहुत लिख कर दिया हूँ | दूरदर्शन पर सुदर्शन न्यूज़ चेनल में भी जिहाद या फसाद के नाम से भी मेरा कार्य क्रम हुवा सुरेश चौहान k जी ने मुसलमानों को दावत भी दिया किन्तु मेरे सामने कोई नही आया |
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता =दिल्ली =23 जनवरी 017
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