Vaidik Gyan...
Total:$776.99
Checkout

मजहबी शिक्षा ही कट्टरवाद, मदरसा पर ही विवाद क्यों ?

Share post:

मजहबी शिक्षा ही कट्टरवाद, मदरसा पर ही विवाद क्यों ?
पिछले कुछ दिनों से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ने व समाचारों में सुनने को मिल रहा है मदरसा प्रकरण । माननीय गृहमंत्री भी मदरसा की चर्चा पंजाब के चुनाव प्रचार में कर रहे थे और बंगाल में विभिन्न मुस्लिम संगठन से कई बार बैठक कर रहे, उस समय आडवाणी गृहमंत्री थे । आखिर मदरसा पर ही विवाद क्यों ? प्राय: लोगों को पता है कि मदरसा विद्या के केंद्र को कहा जाता है, अर्थात जहां बैठकर बच्चों को तालीम दी जाती है उस जगह को मदरसा कहा जाता है ।
पर यह बात समझ में नहीं आती कि जहां-जहां बच्चों को तालीम यानी विद्यादान या शिक्षा दी जा रही हो उस पर विवाद होना यह अचम्भे की बात है । क्योंकि धरती पर रहने वाला कोई ऐसा समाज नहीं जो अपने बच्चों को तालीम देना नहीं चाहता, मानव समाज में हर व्यक्ति अपने बच्चों को शिक्षित बनाने हेतु मदरसा, स्कूल, विद्यालय, पाठशाला आदि बनाते तथा उनमें पढ़ने को भेजते हैं, पर प्रश्न है कि अन्य शिक्षण संस्थानों को छोड़ मदरसा पर ही विवाद क्यों ? विशेषकर भारतीयों के पास यह एक अहम सवाल है ।
नोट- मदरसा पर विवाद बी.जे.पी के समय और आज यू.पी.ए सरकार में भी यानी वर्तमान सरकार में भी है । यह पुस्तक उन दिनों में लिखी गई थी जब बीजेपी और उसके बाद फिर मनमोहन और सोनिया की सरकार बनी इस पुस्तक ने दोनों सरकार को नजदीक से देखा है,उसके बाद ही इसमें लिखी गई है |
भारतवर्ष के कई प्रदेश में मदरसा मात्र दो या तीन प्रकार के हैं, जैसा जहां मात्र कुरान कंठस्थ कराया जाता है जिसे ‘मदरसातुल हुफ्फाज’ कहते हैं, और दूसरा है ‘दरसे निजामी’ जो कुरान हदीस से लेकर अरबी भाषा, व्याकरण, साहित्य सही-सही इस्लाम का ज्ञान कराया जाता है तथा पूर्ण इस्लाम में पारंगत कराकर संपूर्ण इस्लाम जगत के आलिम (विद्वान) बनाया जाता है । यह मदरसा कोई सरकार के अनुदान से नहीं अपितु अपने ही बलबूते पर अपनों में चंदा कर तथा जकात, फितरा, के दान से व संपर्क सूत्र के माध्यम से पाउंड, डॉलर आदि के अनुदान से चलाया जाता है। इस मदरसे पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है और न सरकार अपने नियंत्रण में ले सकती है । इस मदरसे को इस्लाम का आधारशिला कहा जाए तो कोई गलत ना होगा, इसका कोर्स 7 से 9 वर्ष का है । तीसरा जो मदरसा है उसे ‘दरसे आलिया’ कहा जाता है, यहां की पढ़ाई कुरान व हदीसों के साथ-साथ भारत के सभी प्रांतों में अपनी प्रांतीय भाषा भी पढ़ाई जाती है । क्योंकि यह मदरसा सरकारी मान्यता प्राप्त है तथा सरकारी खर्चे से इसका संचालन होता है, यह सरकारी बोर्ड की मान्यता अनुसार इसकी व्यवस्था हेतु मदरसा बोर्ड के नाम से एक संस्था बनी हुई है । पूरा नियंत्रण बोर्ड का ही है, प्रांतीय भाषा व सामान्य अंग्रेजी का ज्ञान भी कराया जाता है । सरकारी मान्यता होने हेतु यहां से पढ़ने के बाद सरकारी विद्यालय में नौकरी देने तथा दिलाने का तरीका है । अवश्य ध्यान रहे यहां भी पढ़ाई वही कुरान तथा हादसों की है जो पूर्ण इस्लामिक ही है, इस मदरसे को बंगाल में दो भागों में जूनियर कक्षा 8 तथा सीनियर कक्षा 10 में बांट रखा है तथा यह संपूर्ण कोर्स 12 वर्ष का है, “मुमताजुल मुहद्देसीन” की डिग्री है ।
इस संदर्भ में मैं अवश्य याद दिलाना चाहूंगा कि सरकारी खर्चे से जो मदरसा आलिया नेसाब में पढ़ाया गया जो एक कट्टर मुसलमान बनने के लिए क्योंकि उसे जो शिक्षा मिली है मात्र इस्लाम के संदर्भ में ही है, दुनियादारी की भूगोल, खगोल, विज्ञान, गणित, इतिहास की कुछ भी जानकारी नहीं दी गई । यानी भारत सरकार के खर्चे में आसानी से देश के नागरिक नहीं अपितु मरूप्रांत का सारा दृश्य सामने रखकर भारत का नहीं अरब का मानचित्र मस्तिष्क में बना दिया जाता है । पर जान लेना यह गलती उन लोगों की नहीं, अपितु भारत के कर्णधारियों का है, क्योंकि सरकार ने यह अवसर उनको दिया या दिलवाया आजादी के समय से ।
यही मदरसा में बैठकर कुरान तथा हदिसों के माध्यम से जब बाल्यावस्था से कोई विद्यार्थी अपने दिमाग में अरब का नक्शा जमा लेता है और फिर अरब तथा अरेबीयन संस्कृति का प्रचार-प्रसार हेतु भारत विरोधी गतिविधि को उजागर करता है । फिर उस समय भारत सरकार तथा प्रांतीय सरकार चिल्लाती है और फिर परेशान होकर उसी मदरसा पर प्रतिबंध लगाना चाहती है कि जिस मदरसे को पनपने हेतु सरकार अनुदान दे रही थी । सरकार चिल्लाती भी तब जब आतंकवादी हवाई जहाज को उड़ा कर अपने कब्जे में कर लेते हैं, जब तक जहाज रुका था तो सरकार एक टायर पंचर तक ना करा सकी, या फिर तब चिल्लाती है जब लाल किले में आतंकवादी घुस जाते हैं या फिर चिल्लाती तब है जब सांसद भवन पर गोली चल जाती है ।
अवश्य मदरसा और उसमें जो शिक्षा दी जा रही है वह आज से नहीं अपितु अंग्रेजी काल से यह काम प्रारंभ किया था । 1905 में तैयब जी व सर सैयद अहमद खान द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बनाया गया था और अब तक उस विद्यालय में भारत विरोधी कार्य होता है आज तक रोकथाम नहीं हुई । जहां मदरसा में बाल्यावस्था से ही बच्चों को यही शिक्षा दी जा रही हो वहां राष्ट्र भक्त क्यों और कैसे बनेंगे भला ? क्योंकि इस्लामी नाम में अरब की बू है ।
 
अभी दो प्रमाण आंखों देखी भारतवासी ले सकते है, पिछले 2001 में गाजियाबाद जिला उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक मदरसे से पुलिस ने बड़ी ही सावधानी से एक आतंकवादी को निकाला, और उत्तर प्रदेश के सहारनपुर मदरसा दारुल उलूम के चार शिक्षार्थियों ने बागपत के पास रेल में बम कांड किया था । पिछले दिन लखनऊ के पास मदरसा नदवातुल मुस्लेमीन के अध्यक्ष अलिमियां ने स्कूल में सरस्वती वंदना का विरोध किया, जबकि मदरसा में वंदना का प्रश्न ही नहीं है, अली मियां के घर उत्तर प्रदेश रायबरेली में कुछ नकाबपोश लोग गए थे । उन दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कल्याण सिंह पर दबाव डाला गया आदि ।
अब रही मदरसा में आधुनिक विषय पढ़ाने की बात तो यह सरासर भारत सरकार तथा बंगाल सरकार की नासमझी है क्योंकि मदरसे में जो इस्लामिक पढ़ाई है वह अपरिवर्तनीय है, उसमें परिवर्तन लाना तो दूर की बात अपने मन में तक नहीं ला सकते और ना ही उस शिक्षा पर संदेह कर सकते । क्योंकि कुरान में पहला शब्द यही है, “जा़लिकल किताबों ला रईबफीहे” है, अर्थात कोई शक नहीं इस किताब में । यही कारण बना अपरिवर्तनीय का, हदीस भी ठीक इसी प्रकार का ही है अगर कोई उस पर संदेह करें तो फिर उसे मुसलमान होने से खारिज होना पड़ेगा ।
मदरसा में जितना भी आधुनिकता लाने का प्रयास क्यों ना किया जाए कुरान इस से सहमत नहीं । जैसा आधुनिक विज्ञान की खोज है पृथ्वी घूमती है पर कुरान का मानना तथा अल्लाह का कहना है कि सूरज तथा चंद्रमा धरती की परिक्रमा करते है । मात्र इतना ही नहीं विज्ञान का मानना है सूरज डूबता नहीं क्योंकि जिस समय हम डूबता देख रहे दूसरे मुल्क वाले निकलता देख रहे हैं । अतः सूरज का निकलना तथा डूबना अवैज्ञानिक है, (देखें सुरा कहाफ आयात 86 में) ।
قُلْنَا يَا ذَا الْقَرْنَيْنِ إِمَّا أَن تُعَذِّبَ وَإِمَّا أَن تَتَّخِذَ فِيهِمْ حُسْنًا [١٨:٨٦
इधर कुरान का मानना और अल्लाह का कहना है कि सूरज कीचड़ वाले तालाब में डूबता है । इससंदर्भ में मदरसा की पढ़ाई में आधुनिकता लाने वाले माननीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से तथा उ0प्र के मुख्यमंत्री व उनके मंत्रिमंडल से मेरा प्रश्न है कि इस दशा में आप लोग किस प्रकार की आधुनिकता को मदरसा में लाना चाहते हैं ? क्या वह संभव है ? प्रश्न है कि यह बैठक और प्रांतों में ना होकर बंगाल में क्यों ? यहां मदरसा को सरकार ने कई भागों में तथा पढ़ाई की पद्धति में बांट रखा है, जैसे हाई मदरसा के नाम से बंगाल में ही संचालित है बंगाल शिक्षा बोर्ड की पढ़ाई होती है ।
सरकारी नौकरी पाने हेतु बंगाल शिक्षा बोर्ड द्वारा मनोनीत बांग्ला साहित्य, कुछ गणित आदि की भी शिक्षाएं है इसे हाई मदरसा कहा जाता है । यह मात्र बंगाल में ही है यह पाठ्यक्रम अन्य प्रांतों में नहीं है, इस हाई मदरसे में बंगाल शिक्षा बोर्ड के सिलेबस को अधिकतर रखा गया है । पर याद रखना यहां भी कई कक्षा अरबी की है, अरबी भाषा पढ़ाई जाती है, मातृभाषा भी सिखाई जाती है । यहां कुरान व हदीस की कक्षाएं नहीं है परंतु इस्लाम के बारे में जानकारी कराना आवश्यक है, इस प्रकार बंगाल सरकार अपने सरकारी खर्चे से इस्लामिक शिक्षा को बढ़ावा देती है और वर्तमान में बंगाल की कम्युनिस्ट सरकार ने इसे 1977 से 2000 तक 23 वर्षों में 238 से 507 तक पहुंचा दिया इस हाई मदरसा को । यह बंगाल सरकार के आंकड़े हैं (कालांतर पत्रिका 11/2/2002 से) अवश्य एक बात है इस हाई मदरसा बंगाल बोर्ड अंतर्गत होने हेतु यहां पढ़ने वाले कुछ अध्यापक तथा छात्र हिंदू भी है, इन लोगों के लिए अरबी कक्षा की छूट है यानी जितने मुस्लिम छात्र हैं उनके लिए विषय है ।
अरबी अदब की पुस्तकें पढ़ाई जाती है, उसमें इस्लाम की पूरी जानकारी कराई जाती है । बंगाल के मुस्लिम छात्रों के लिए एक समस्या अवश्य है, क्योंकि हाई मदरसों में पढ़ने वाले विद्यार्थी पशो पेश में है, क्योंकि इस्लाम से संबंध रखने हेतु कुरान पर पूरी उसकी आस्था है। जहां सूर्य धरती की परिक्रमा करता है बताया और बच्चे कुरान पर संदेह भी नहीं कर सकते । पर ध्यान रहे इस विद्यालय को मदरसा कहना भी इस्लाम का खिलवाड़ ही है, क्योंकि हदीस में मदरसा को रसूल का घर कहा जाता है जैसा मस्जिद को अल्लाह का घर । मदरसा वह जगह जहां बैठकर कुरानी शिक्षा तथा इस्लाम की पूरी जानकारी दी जाती हो, मात्र कट्टरवाद की शिक्षा क्योंकि इस्लाम की दृष्टि में एक इस्लाम को छोड़कर धरती पर और किसी संप्रदाय को जीने का हक नहीं, इसी शिक्षा स्थल को मदरसा कहा जाता है ।
यही मदरसा मात्र भारत में नहीं अपितु विश्व में आतंकवाद का जाल बिछाकर पूरी धरती पर ही इस्लामिक राज्य स्थापित करना चाहता है, क्योंकि इस्लामिक शिक्षा यही है । शायद आप लोगों को याद हो कि पिछले 1928 में रशियावालों ने भी मदरसा पर प्रतिबंध लगाया था, उसे देखकर भी भारतीयों को शिक्षा लेनी थी ।
समय रहते अगर भारत तथा विश्ववासी आतंकवाद से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आतंकवाद के जन्मदाता मदरसा को धरती से समाप्त करने का आज ही संकल्प ले । वरना अमेरिका तथा भारत कांड से विश्व अछूता नहीं रह सकता । विश्व के सभी देशों में आतंकवाद बढ़ रहा है, अफगानिस्तान तो एक नमूना मात्र था ।
 
वर्तमान प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने भी दिल्ली में कई मदरसों का दौरा किया तथा आधुनिकता लाने की बात की है जो संभव नहीं ऊपर लिख आया हूं । यह पुस्तक उन दिनों में लिखी गई थी यह पुस्तक तीनबार छप चुकी है | अब यह चौथी बार छपने जा रही है | तीनों बार मैंने खुद एक एक हज़ार छपवाई थे | इसबार वेद ऋषि .कॉम के माध्यम से छपेगी | आप लोग इस पुस्तक को ज़ुर मंगाएंगे और वैदिक सिद्धान्त में और मत पंथों की भेद को जान सकेंगे |
यह लेख पिछले दिन मनमोहन सिंह जी के प्रधान मंत्री रहते लिखा, उस्बार भी मदरसा पर विबाद चला था जैसा अब चल रहा है | महेन्द्र पाल आर्य =22/9/22

Top