Vaidik Gyan...
Total:$776.99
Checkout

राष्ट्र से किसी की मान्यता बड़ी नही |

Share post:

नमाज पढ़ना निजी लाभ है, उसमें सरकारी समय लेना राष्ट्र के साथ धोखा है |
दुनिया वालों जरा विचार करें नमाज पढ़ना हो पूजा करनी हो यह सब किसलिए करते हैं ? जवाब है यही मानवता है,कारण इस काम को मानव के सिवा और कोई नही करसकता | मानव ईश्वर के प्रति अपना कृतज्ञता व्यक्त करता है | यद्यपि इसका नाम उपासना नही है, उपासना उसे कहते हैं ई श्वर का गुणगान गाना, ईश्वर की तारीफ करना, उसे धन्यवाद देना उसके किये गये एहसान का धन्यवाद देना उसको उपासना कहते है |

फिर भी मैं कहूँगा की यह काम सिर्फ मानव ही कर सकता है अन्य किसी को यह सौभाग्य प्राप्त ही नही हुवा | हम मानव मात्र के लिए यह दायित्व बनता है की हम उस परमात्मा का शुक्रिया अदा करें | कुल मिला कर इसे ही उपासना कहा जाता है |

अब प्रश्न होगा की इसको करने से लाभ किसको है, परमात्मा को लाभ है,किसी व्यक्ति को लाभ है, अथवा इस काम को करने के लिए जो हमें छुट्टी दे, करने के लिए समय दे उसे लाभ है ?

बड़ा ही सीधासा जवाब है इसका, की यह काम जो करेगा उसे ही लाभ होगा अन्यको नही | उपासना जो करता है वह तो अपना दायित्व निभा रहा है कर्तव्य पालन कर रहा है मानव होने का डिउटी निभा रहा है, किसी पर एहसान तो नही कर रहा है |

जब वह किसी पर एहसान नही कर रहा है, फिर सरकारी समय को किस लिए लेना चाहता है ? इससे सरकारी समयका दुरूपयोग किस लिए करना चाहता है, अथवा सरकार भी उसे समय किसलिए दे भला ? अपना व्यक्ति गत काम के लिए राष्ट्र का काम छोड़ अपना व्यक्ति गत काम करे तो यह राष्ट्र के साथ धोखा ही तो है | हमारा सामने देश बड़ा है व्यक्ति बड़ा अथवा किसी की मान्यता बड़ा नही है |

कोई किसी वर्ग विशेष को खुश करने के लिए यह मान्यता दे तो वह भी राष्ट्र के साथ धोखा है | अब इस काम को चाहे प्रधानमंत्री करे अथवा, किसी भी प्रान्त के मुख्यमंत्री सब धोखा ही है यह छुट किसी को भी नही मिलनी चाहिए चाहे वह हिन्दू हो,मुस्लमान हो अथवा अन्य कोई यह सरासर अन्याय है धोखा है |
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक प्रवक्ता =दिल्ली =21 /12 /16 =

Top