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हरीश रावत जी आफिस के समय पूजा ही नही |

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हरीश रावत जीऑफिस के समय पूजा ही नही |
हरीशरावत ने सभी धर्मवालों को नमाज और पूजा करने की अवकाश देनेकी घोषणा की हैं,क्या इस्लाम अपने को छोड़ किसी और को धर्म माना है? फिर सब धर्म का क्या अर्थ है अथवा सब धर्म किसे कहेंगे ?
कल रात 8 मैं देख रहा था IBN 7, हम तो पूछेंगे, सुमित अवस्थी जी का प्रोग्राम | इस कार्यक्रम में BJP +कांग्रेस + SP +और एक बाममार्गी भी था |

चर्चा हरीश रावत मुख्यमंत्री उत्तराखंड ने जुमा को 90 मिनट के लिए नमाज पढ़ने की छुट देने की घोषणा, सरकारी मुस्लिम कर्मचारी के लिए किया है | इसके बाद उन्हें एहसास हुवा की हिन्दुओं के साथ पक्षपात होगा | तो फिरसे हिन्दुओं के लिए भी छुट देने की बात कह दी |

अब सवाल खड़ा होता है जो मुस्लिम सरकारी कर्मचारी हैं, उन्हें तो सुबह 10 बजे से 5 बजे शाम तक रोजाना दोबार नमाज़ पढ़ना पढ़ता है | एक जोहर के नाम से जो एक बजेसे दो बजे के समय केअन्दर पढ़ीजाती है | और दूसरी नमाज असर के नाम से 4 से 5 के अन्दर पढ़ी जाती है | तो रोजाना नमाज का समय ना दे कर सिर्फ जुमे की नमाज के लिए छुट देना क्या यह इस्लाम वालों के साथ अन्याय नहीं होगा ?

जो इस्लाम की बुनियाद है दुसरे नम्बर की नमाज पढ़ना जो रोजाना 5 बार अनिवार्य है,उसके लिए तो सरकार कोई रियायत दी नही, और जुमे की नमाज पढ़ने के लिए डेढ़ घंटे की छुट क्या यह इस्लाम वालों का मजाक नही है ? क्या सरकार मुसलमानों को रोजाना नमाज पढ़ने को मना कर रही है ?

जब की हरीश रावत जी को यह पता ही नही की जुमे की नमाज के लिए भी हर मस्जिद में उसे अदा नहीं किया जा सकता | उसके लिए भी कई शर्तें है उसे भी देखना पड़ेगा अगर आप के देहरादून शहर में अथवा हरिद्वार में शर्त पर खरा उतरने वाली मस्जिदें ना हो फिर नमाज अदा करने के लिए हरकीपैड़ी में सड़क जाम करके आप के मुस्लिम कर्मचारी नमाज पढ़ेंगे ?

माननीय मुख्यमंत्री हरीश रावत जी आप को हिन्दुओं पर रहम करने या रहम खाने की जरूरत नही है, कारण आप के ऑफिस टाइम में हिन्दुओं की कोई पूजा नही है | हिन्दू ऑफिस जाने से पहले सुबह ही पूजा कर लेते हैं, फिर आफिस से आने के बाद शाम को पूजा करते हैं | हिन्दुओं की हिमायती बनने की जरूरत ही नही है आप को |

रही बात आप की उदार वादिता की, की सभी धर्म का आदर करना चाहिए सभी धर्म के लोग अपने अपने धर्म का पालन करें, हमें उन्हें छुट देनी ही चिहिए |
जनाब मेरा सवाल आप जैसे मुख्यमंत्रियों से है, की क्या यह किसी भी मुस्लिम देशों में अन्य लोगों के लिए यह छुट दी जाती है ?

दूसरा सवाल मेरा आप जैसे नेताओं से है, की आप ने जिस प्रकार सभी को धर्म कहा अथवा माना है | क्या इस्लाम भी अपने को छोड़ किसी अन्यों को धर्म माना है, क्या इसकी जानकारी आप जैसे सेकुलरवादी नेताओं को है ?

उठायें मुसलमानों का धर्मग्रन्थ कुरान को, अल्लाह ने किसी और को धर्म माना है अथवा नही उसकी जानकारी लें | प्रमाण मैं ही देता हूँ आप को देख लें |
اِنَّ الدِّيْنَ عِنْدَ اللّٰهِ الْاِسْلَامُ ۣ وَمَا اخْتَلَفَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ اِلَّا مِنْۢ بَعْدِ مَا جَاۗءَھُمُ الْعِلْمُ بَغْيًۢا بَيْنَھُمْ ۭ وَمَنْ يَّكْفُرْ بِاٰيٰتِ اللّٰهِ فَاِنَّ اللّٰهَ سَرِيْعُ الْح
यह है सूरा अल इमरान =आयत 19 और 85 को भी देखें |

अल्लाह ने साफ कहा एक ही दीन{धर्म } है इस्लाम दूसरा कोई धर्म ही नही है | और भी आया है अन्य आयातों में, अब आप लोग ही निर्णय करें की धर्म किसे कहते हैं आप सभी |
इस्लाम ने तो आप लोगों के धर्म को माना ही नही | अगर जवाब है तो लेकर आयें, मैं प्रतीक्षा में हूँ |
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता =दिल्ली =20 /12/16 =

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