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सरकार को चाहिए जमीयत पर प्रतिबन्ध लगाना |

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सरकार को चाहिए जमीयत पर प्रतिबन्ध लगाना |
यह संगठन भले ही भारत में काम कर रही हो लेकिन यह हमेशा भारत विरोधी गतिविधि इनकी हैं | यह संगठन भारत में 1919 में बनी है तब से लेकर अब तक इनकी गतिविधि भारत के खिलाफ ही है, इन का इतिहास पढ़ कर देखना |
 
पहली की बात तो छोड़ें अभी पिछले 16 तप्रिल 22 को दिल्ली में जो घटना घटित हुई | किस प्रकार से हनुमान जयंती जुलुस पर हमला हुआ यह हमला करने वाले लोग कौन थे ?
इन की सोची समझी रणनीति थी इन्हों ने पहले से अपनी तैयारी राखी थी, हमला करने के लिए और किया भी |
इसके लिए दोषी कौन दोषी को सजा मिलनी चाहिए या नहीं ? बात यहाँ पहुंच गई की दोषी मुसलमान नहीं होनी चाहिए अगर कोई मुसलमान दोषी हो भी उसे दोषी न माना जाय |
 
अगर कोई मुसलमान दोष करे तो भी उसे दोषी नहीं माननी चाहिए यह कहना है जमीयते इस्लामी वालों का और भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों का भी |
 
इस लिए इस पर मोहरा संभाला जमीयते इस्लामी हिन्द के अधि कारियों ने और विशेष कर असदुद्दीन ओवैसी ने तथा सभी विरोधी पार्टियों नें | दोषियों को दंड मिले किन्तु वेह मुसलमान नहीं होना चाहिए |
 
यह मानसिकता भारत में फैलाई गई पहले से, अभी पिछले दिन आप लोगों ने देखा ड्रैग के मामले में शारुख खान के बेटे के मसला को | बहुत पहले मेच फिक्सिंग मामले में अजहर उद्दीन का नाम आया था उसे लेकर भी बवाल किया था इस्लाम के मानने वालों ने |
जब की फिल्म इस्लाम में हराम है उससे इस्लाम सहमत नहीं है तथापि मुसलमान है इस लिए उसका विरोध होना नहीं चाहिए |
 
अब यह जहागीर पूरा वाला मामले में अरशद मदनी ने कहा हम को जहाँ तक जाना होगा जायेंगे | और सुप्रीम कौर्ट पहुंच गये किसके लिए उनके लिए जो अवैध तरीके से सरकारी जमींन को घेरा राष्ट्र विरोधी काम कर रहे |
 
इन्हें उससे कोई मतलब नहीं वे मुसलमान है इसलिए उसे हम बचायेंगे | इस मानसिकता ने भारत का कितना बड़ा नुक्सान किया |
सुप्रीम कौर्ट ने भी उनकी दरखास्त को स्वीकार कर लिया और दो सप्ताह के लिए काम बंद करवा दिया |
सवाल यह पैदा होता है की बुलडोजर सरकारी जमीं पर अति क्रमण हटाने को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने भेजी थी अब इस कार्य को रोकने के लिए जमीयत के लोगों ने मोर्चा संभाला और सभी विरोधी पार्टी सरकारी कार्य के विरोध में खड़े हो गये |
नियम तो यह है की जो दोषी हो उसे सजा मिले, अब सजा सुनाने वाले भी उनके पक्ष में दो सप्ताह के लिए फैसला सुनाया | क्या इससे विरोधियों की हिम्मत अफजाई नहीं हुई उन्हें बढ़ावा नहीं मिला ? भारत वासियों का तो ईश्वर ही रक्षक है |
बहुत पहले एक गान सुने थे, जहां हक़ न चले वहाँ झूट सही | जहाँ सच न चले वहाँ लुट सही | आज यही चरितार्थ होते देख रहे हैं | अब न्याय अन्याय देखना नहीं है देखना यह है की दोषी कहीं मुसलमान तो नहीं ? उसी के पक्ष में सब खड़े हो जायेंगे | न मालूम यह लोग देश को कहाँ ले जायेंगे ?

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